फिलस्तीन के लिए बढ़ता समर्थन
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- हाल ही में कनाडा, आस्ट्रेलिया, पुर्तगाल और ब्रिटेन ने फिलिस्तीन को मान्यता दे दी है। यह इजराइल के खिलाफ बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव का संकेत है। साथ ही यह एक स्वस्थ और सार्थक निर्णय है। यह मान्यता हमास या आतंकवाद के पक्ष में नहीं दी गई है, बल्कि यह फिलिस्तीनी सम्मान, संप्रभुता और उनके भविष्य को दी गई है।
- यह मान्यता कूटनीतिक झुकाव के केंद्र को कुछ हद तक बदल देती है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की विश्व व्यवस्था को आकार देने वाले जी-7 राष्ट्रों में से कनाडा और ब्रिटेन की मान्यता का अर्थ अमेरिकी वीटो और अल्टीमेटम के अधिकार को चुनौती देना लग रहा है।
- राजनीतिक रूप से यह मान्यता अतिवाद को अलग-थलग करती है। यह फिलिस्तीन की सत्ता को सशक्त बनाते हुए, हमास को पीछे ढकेलती है।
ज्ञातव्य हो कि अक्टूबर 2023 से 65,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। उनके अस्तित्व को मान्यता देकर इजराइल की दी हुई पीड़ा को मिटाया नहीं जा रहा है, बल्कि यह पुष्टि की जा रही है कि पीड़ा देना किसी भी राष्ट्र का पहचान चिन्ह नहीं होना चाहिए। इस मान्यता के लिए चारों ही देश शाबासी के हकदार हैं।
विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित। 23 सितंबर, 2025