‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तय होते राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के नए मानक

Afeias
14 Jun 2025
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आतंकवाद के विरूद्ध लड़ाई में भारत ने ‘आपरेशन सिंदूर’ द्वारा एक नया मानक स्थापित किया है। 2001 में संसद पर तथा 2008 में मुंबई में जब आतंकवादी हमला हुआ था। तब ऐसी सैन्य कार्यवाही नहीं की गई थी। इसके विपरीत 2016 में उरी में हमला होने पर तथा पुलवामा आक्रमण के समय सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी।

लेकिन चूंकि ये कारवाईयाँ भी पाकिस्तान को सबक न सिखा सकीं। इसलिए उसे पहलगाम पर आक्रमण करना पड़ा। भारतीय सेना ने 9 आतंकी ठिकाने तथा उकसावे की कार्रवाई के तहत कई प्रमुख एयरबेस ध्वस्त किए। हमने इस अटैक से दिखाया है कि हम पड़ोसी देश को पस्त करने की क्षमता रखते हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के नए सिद्धांत –

  • यदि अब हम पर कोई आतंकी आक्रमण होता है, तो उसे ‘एक्ट ऑफ वार’ मानकर जवाबी कार्यवाही की जाएगी।
  • हम परमाणु ब्लैकमेलिंग से प्रभावित नहीं होंगे।
  • आतंक पर प्रहार करने में आतंकियों और उनके संरक्षकों में कोई फर्क नहीं किया जाएगा।
  • आतंकवादी गतिविधियाँ तथा वार्ताएँ साथ-साथ नहीं चल सकतीं।

इस आक्रमण से उठते राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रश्न –

  • खुफिया विभाग को पहलगाम में आतंकी हमले के बारे में पहले से जानकारी क्यों नहीं थी? 
  • वहाँ समय रहते पुलिस की कोई टुकड़ी क्यों नहीं पहुँच सकी?
  • कश्मीर के लोगों का जनसमर्थन प्राप्त करने के लिए हमें क्या करना चाहिए? क्योंकि 15 स्थानीय लोगों ने आतंकियों की मदद की थी।

भारत और पाकिस्तान युद्ध में अन्य देशों की भूमिका –

अमेरिका – युद्ध के आरंभ में ऐसा प्रतीत हो रहा था कि अमेरिका युद्ध में कुछ नहीं कहेगा। लेकिन बाद में अमेरिका युद्ध को समाप्त कराने का श्रेय भी लेने लगा तथा अंतरर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा पाकिस्तान को कर्ज भी दिलाया। क्या हम भविष्य में पाकिस्तान या चीन से होने वाले युद्ध में अमेरिका पर विश्वास कर सकेंगे?

रूस – रूस हमारे साथ था। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते उसके रिश्ते चीन से ज्यादा अच्छे हैं।

तुर्किये और अजरबैजान – ये पूरी तरह से पाकिस्तान के समर्थन में थे। इसके लिए भारत सरकार व भारतीय जनता अब इनका बॉयकाट कर रही है।

चीन – यह भी पाकिस्तान के समर्थन में था। जब तक हम चीन के साथ सीमा संबंधी सभी विवाद न सुलझा लें तब तक सामान्य व्यापारिक संबंध उसके साथ नहीं होने चाहिए। पर देश की एक लॉबी अपने लाभ के लिए ही ज्यादा सोचती है।

भविष्य में –

  • आतंक को पोषण देने वाला पाकिस्तान भविष्य में ऐसे कुकृत्य नहीं करेगा, हम ऐसा नहीं कह सकते। फिर अभी ऐसे बड़े आंतकी नेता भी जीवित हैं, जिन पर कार्यवाही की आवश्यकता पड़ सकती है। इसीलिए ‘आपरेशन सिंदूर’ सिर्फ रोका गया है, समाप्त नहीं किया गया है।
  • सामरिक शक्ति के अन्तर्गत 42 स्क्वाड्रन होने चाहिए, जो वर्तमान में 31 ही हैं।
  • एडवांस्ड मीडियम कांबैंट एयरक्राफ्ट तथा 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट हमारे पास नहीं है, जबकि चीन उन्हें बना रहा है।
  • हमें सकल घरेलू उत्पाद का 2.5% रक्षा बजट पर खर्च करना चाहिए, जो अभी 1.9% है। हम रक्षा पर 86.1 अरब डॉलर खर्च करते हैं, जबकि चीन 314 अरब डॉलर खर्च करता है।
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