न्यायपालिकाओं में लंबित मामलों से संबंधित कुछ तथ्य

Afeias
01 Nov 2022
A+ A-

To Download Click Here.

  • 2019 एक ऐसा वर्ष रहा है, जब उच्चतम न्यायालय ने ताजा मामलों की तुलना में अधिक मामले निपटाए थे। लेकिन महामारी ने फिर से बैकलॉग बढ़ा दिया है।
  • इसे देखते हुए नवनियुक्त सर्वोच्च न्यायाधीश यू.यू. ललित ने नई केस लिस्टिंग प्रणाली तैयार की, जो काफी प्रभावी लगती है।
  • इस नई प्रणाली में ऑफ्टर नोटिस वाले लंबित मामलों को पहले निपटाने की प्रथा शुरू की गई है। इनके लिए सप्ताह के तीन दिनों की दोपहर को निश्चित किया गया है। साथ ही, ताजा मामलों के लिए सप्ताह के दो अलग दिनों को रखा गया है।
  • काम के दबाव को देखते हुए शीर्ष अदालत में बनी रिक्तियों को अविलंब भरने की बात की जा रही है। नवंबर तक होने वाली सात रिक्तियों को भरे जाने से दबाव कम हो सकता है।
  • उच्चतम न्यायालय को मामलों को दर्ज करने में भी चयन का रास्ता अपनाना चाहिए। नीतिगत, राजनीतिक और सामाजिक-सांस्कृतिक मामलों में दर्ज होने वाली कई जनहित याचिकाओं में कई तो न्यायालयों के हस्तक्षेप के बिना भी समाप्त की जा सकने वाली होती हैं।
  • उच्चतम न्यायालय की नई प्रणाली अगर वाकई प्रभावशाली है, तो इसे उच्च न्यायालयों पर भी लागू किया जाना चाहिए, जहां 59 लाख मामले लंबित हैं। इनमें 70% मामले ताजे हैं।
  • दुर्भाग्य यह है कि लंबित मामलों में केंद्र और राज्य सरकारें ही सबसे बड़ी वादी हैं। अतः इन्हें ही न्यायिक बुनियादी ढांचे के सुधार में मदद करनी चाहिए। फालतू मुकदमेबाजी को खत्म करना चाहिए।
  • लंबित मामलों को निपटाने के लिए क्या एक वर्ष का लक्ष्य रखकर कोई कार्ययोजना नहीं बनाई जा सकती है? अगर ऐसा हो सके, तो निपटान की गति और भी तेज हो जाएगी।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 17 सितम्बर, 2022