नावों में असमानता है
Date:09-02-21 To Download Click Here.
सदियों से भारत अनेक चुनौतियां झेलता आया है। इनमें अनेक युद्ध और प्राकृतिक आपदाएं रही हैं। गत वर्ष से जन्मी महामारी के चलते होने वाले लॉकडाउन, प्रवासी श्रमिकों के पलायन, अर्थव्यवस्था के संकुचन और स्वास्थ्य व्यवस्था की अव्यवस्था जैसी खराब परिस्थितियां पहले कभी नहीं देखी गई है। इसने ऐसा क्षण उत्पन्न कर दिया है, जब हम देश में उभरी असमानता और महामारी पश्चात की बहाली के साथ एक ऐसे आर्थिक मॉडल को स्थापित करने का प्रयास कर सकते हैं, जिसमें समानताए न्याय और धारणीयता से परिपूर्ण भविष्य बुना जा सके।
वर्तमान स्थितयों में आर्थिक और लैंगिक असमानता में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। लॉकडाउन के दौरान जहाँ एक ओर करोड़ों श्रमिक बेकार होकर मूलभूत आवश्यकताओं की कमी से जूझ रहे थे, वहीं भारतीय अरबपतियों की आय में 35% की वृद्धि हुई है।
ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार बेरोजगारी का प्रभाव महिलाओं पर ज्यादा पड़ा है। 18% के पूर्व-लाकडाउन स्तर से भारतीय महिलाओं के लिए बेरोजगारी 15% और बढ़ गई है। इस के परिणामस्वरूप भारत के सकल घरेलू उत्पाद को 21.8 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, भारत के अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ श्रमिकों के गरीबी के गर्त में जाने की आशंका है।
असमानता का संक्रमण दूर हो –
भारत ने हाल ही में 72वां गणतंत्र उत्सव मनाया है। हमें असमानता को जन्म देने वाली मूल और निरंतर कमी को पहचानना होगा। इसके आधार पर ठोस और समयबद्ध लक्ष्य निर्धारित करने होंगे, जो न्यायपूर्ण भारत का निर्माण कर सकें। दक्षिण कोरियाए सिएरा लियोन और न्यूजीलैण्ड जैसे देशों ने असमानता को कम करने के लक्ष्य को राष्ट्रीय प्राथमिकता पर रखा है। इन देशों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। फिलहाल हम ऐसे चार बिंदुओं पर चर्चा करेंगे –
- निःशुल्क सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और अन्य सार्वजनिक सेवाओं में निवेश करें। सार्वभौमिक सार्वजनिक सेवाएं, स्वतंत्र और निष्पक्ष समाज की नींव हैं, और इनमें असमानता को कम करने की अपूर्व शक्ति है।
- आय की सुरक्षा अनिवार्य है। इस हेतु हमें केवल वर्तमान आय तक सीमित न रहकर श्रम अधिकारों, बीमारी पर छुट्टी, पितृत्व अवकाश एवं बेरोजगारी की स्थिति सुविधाओं जैसी सुरक्षा की व्यवस्था करनी होगी।
- धन पर लगाए जाने वाले कर को फिर से शुरू किया जाना चाहिए। कर चोरी से बचने के लिए वित्तीय लेनदेन करों को सुनिश्चित करना होगा। अर्जेंटीना ने अस्थायी रूप से धन कर लगाया है, जो अत्यधिक धनी वर्ग पर ही लगाया जा रहा है।
- ग्रीन इकॉनॉमी पर निवेश बढ़ाना होगा। इसमें हम पृथ्वी के ह्यस को रोककर अपने भविष्य की पीढ़ी को सुरक्षित कर सकेंगे।
हमें अपना ध्यान केवल सकल घरेलू उत्पाद तक सीमित न रखकर, धरातल के स्तर पर महत्व रखने वाले मुद्दों तक ले जाना है। सभी आर्थिक उपायों और बहाली का केंद्रीय विचार असमानता को दूर करने से संबद्ध होना चाहिए, तभी सभी मायने में देश प्रगति कर सकेगा।
‘द हिंदू, में प्रकाशित अमिताभ बेहर के लेख पर आधारित। 27 जनवरी, 2021