मरम्मत (रिपेयर) एक अधिकार बने

Afeias
16 Sep 2025
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वर्तमान में धारणीयता पूरे विश्व की जरूरत है। नीति निर्माता और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ इस बात पर पुनर्विचार कर रहे हैं कि हम रोजमर्रा के उत्पादों को कैसे डिजाइन करें कि उनकी मरम्मत करके पुनः उपयोग किया जा सके। इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के बढ़ते उपयोग ने ई-वेस्ट को भी बढ़ाया है। इनकी मरम्मत करके इनके जीवनकाल को बढ़ाने से बहुत सी समस्याएं हल हो सकती हैं।

कुछ तथ्य –

  • 2021-22 में भारत ने 16 लाख टन से ज्यादा ई-कचरा उत्पन्न किया है। यह दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पन्न करने वाला देश हो गया है।
  • ई-वेस्ट मैनेजमेंट नियम, 2022 में उत्पादकों या निर्माताओं के लिए ईपीआर या एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रेस्पॉन्सिबिलिटी दी गई है। यह उत्पाद के निर्माताओं को उपयोग के बाद उत्पाद – प्रबंधन के लिए जिम्मेदार बनाता है। इसमें मरम्मत का बहुत कम उल्लेख है।
  • ‘मिशन लाइफ’ जैसे अभियान मरम्मत और पुनः उपयोग को बढ़ावा देते हैं। लेकिन इन कार्यकर्ताओं को ठोस आधार नहीं मिला हुआ है।
  • बहुत सी नीतियां रिसाइकिंलग को बढ़ावा देने वाली हैं। लेकिन वे कार्यबल को पीछे छोड़ने का खतरा भी दिखाती हैं।
  • उपभोक्ता मामलों के विभाग ने 2022 में मरम्मत के अधिकार की शुरूआत की है।

मरम्मत हो, लेकिन एआई से जुड़ी हो –

  • हमारे देश में हर गली, नुक्कड़ पर इलेक्ट्रानिक मरम्मत की दुकान मिल जाती है। यह धारणीयता की दिशा में हमारा सहयोग कर रही हैं। लेकिन
  • मरम्मत का काम औपचारिक प्रशिक्षण या प्रमाणन से नहीं जुड़ा हुआ है। यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी दिया जा रहा कौशल ज्ञान ही है।
  • दूसरी तरफ, एआई तकनीक बेहतर होती जा रही है। हमारा देश भी एआई इंफ्रा में निवेश कर रहा है। जरूरत है, आधुनिक उपकरणों को मरम्मत के लायक बनाने की।
  • 2023 की आईफिक्सिट वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार एशिया में बिकने वाले केवल 23% स्मार्टफोन ही आसानी से मरम्मत के लायक हैं।
  • यूरोपीय संघ ने हाल ही में ऐसे नियम बनाए हैं, जिनके अनुसार निर्माताओं को स्पेयर पार्ट्स और मरम्मत के अधिकार की स्पष्ट जानकारी देना आवश्यक है।
  • दरअसल पूरी दुनिया में ‘अनमेकिंग‘ के लिए डिजाइनिंग में बदलाव होना चाहिए। डिसएसेम्बली या उत्पाद की मरम्मत वाले स्टैण्डर्ड स्थान से ही हार्डवेयर मानकों और एआई-एकीकृत प्रणालियों की जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए।
  • इसके अलावा, मंत्रालय की नीतियों में मरम्मत काम से जुड़े प्रशिक्षण और प्रमाणन को औद्योगिक ढांचों के अनुकूल शामिल किया जाना चाहिए।
  • ई-श्रम जैसे प्लेटफार्म में अनौपचारिक मरम्मत करने वालों को एक प्रमाणन के साथ औपचारिक मान्यता देने का प्रयास होना चाहिए।

अच्छा यह है कि केंद्र सरकार ने मरम्मत क्षमता सूचकांक दिखाने वाली एक रिपोर्ट को स्वीकार किया है। इसमें मरम्मत में आसानी, स्पेयर पार्ट्स की पहुँच और सॉफ्टवेयर सहयोग के आधार पर उत्पादों की रैंकिंग की जानी है।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित किन्नारी गटारे के लेख पर आधारित। 4 अगस्त 2025