
लोकनीति चुनाव-पश्चात सर्वेक्षण के कुछ बिंदु
To Download Click Here.
- द सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज या सीएससीएस के चुनाव के बाद के सर्वेक्षण के अनुसार 2024 के आम चुनाव में हिंदुत्व सहित अन्य पहले लोकप्रिय रह चुके तत्वों ने एनडीए को कम सहयोग दिया है।
- अपने चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में एजेंसी ने संकेत दिया था कि ‘बेरोजगारी’ और ‘महंगाई’ अधिकाश मतदाताओं के लिए प्रमुख मुद्दे थे।
- इन चुनावों में एनडीए का अंतिम वोट शेयर 43.6% रहा है। यह 2019 में गठबंधन को मिले वोट शेयर से 1.4 अंक कम था। जबकि इंडिया ब्लॉक ने छलांग लगाते हुए 41.4% समर्थन प्राप्त किया है।
- लोकनीति के अनुसार पिछले लोकसभा चुनाव में बालाकोट कार्रवाई, पीएम किसान योजना और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10% आरक्षण ने भाजपा को 303 सीटों से जीतने में मदद की थी। लेकिन इस बार कई जन और राजनीतिक मुद्दों ने पार्टी को उसके मजबूत राज्यों में ही नीचा कर दिया।
- दूसरी ओर, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में दलित, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों द्वारा कांग्रेस को मजबूत समर्थन दिया गया। समाजवादी पार्टी ने जिस प्रकार से भाजपा के एजेंडे को संविधान के लिए खतरा बताया, उसमें भी विपक्ष को बल मिला है।
- स्पष्ट रूप से भाजपा को उत्तराखंड, गुजरात, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों को छोड़कर हिंदुत्व की राजनीति पर भरोसा नहीं करना चाहिए।
- कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक के लिए विश्वसनीय प्रदर्शन के बावजूद, कई राज्यों में आगे की राह मुश्किल है। कर्नाटक में 2023 के विधानसभा चुनावों की तुलना में अभी बेहतर प्रदर्शन के बावजूद सीटें ज्यादा नहीं मिल पाई हैं।
विपक्ष के लिए एक संदेश हो सकता है कि अपनी सत्ता वाले राज्यों में, उसे मजबूत पकड़ बनाए रखनी चाहिए। जहाँ वह सत्ता में नहीं है, वहाँ उसे समान विचारधारा वाली ताकतों के बीच एकता बनाने और भाजपा की केंद्रीकृत और एकात्मक पद्धति के विपरीत वैकल्पिक नीतियों के माध्यम से बदलाव लाने पर भरोसा करके आगे बढ़ना चाहिए।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 11 मई, 2024
Related Articles
×