कुशल, चुस्त और उत्तरदायी प्रशासन की दिशा में काम
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नई सरकार का गठन हो चुका है। नरेंद्र मोदी स्वयं ही ‘अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ की बात करते रहे हैं। इसी को देखते हुए नौकरशाही ने सरकारी विभागों और मंत्रालयों को तर्कसंगत बनाने और उनका पुनर्गठन करने की योजनाएं सुझाई हैं। यह निश्चित रूप से समय की मांग है।
कुछ बिंदु –
– वर्तमान प्रशासनिक योजना बनाने का अर्थ केवल विभागों को छोटा करने या महत्वपूर्ण कार्यों को आउटसोर्स करने से नहीं है, बल्कि इसमें ऐसी प्रणालियां और प्रक्रियाएं बनाना भी है, जो एक समन्वित संपूर्ण-सरकारी दृष्टिकोण को बढ़ावा देती हो।
– पुनर्गठन का काम दक्षता बढ़ाने के साथ-साथ अनुकूलन यानि संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग से जुड़ा है। ये संसाधन मानव, वित्तीय और भौतिक तीनों ही हो सकते हैं।
– इसका मतलब है कि अलग-थलग सोच, दोहराव और विपरीत उद्देश्यों को लेकर काम करने के बजाय विभाग तर्कसंगतता के साथ काम करें।
– नियमबद्ध नौकरशाही को कई बार राजनीतिक हलको में बाधा के रूप में देखा जाता है। इस दृष्टिकोण को बदलने की जरूरत है। साथ ही नियम और विनियम को नीति के कार्यान्यवयन को बढ़ाने के साधन के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।
– सरकार के अगले पाँच साल उन प्रणालियों और प्रक्रियाओं को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो सुशासन के ताने बाने हैं, और जो भारत के परिवर्तन को रेखांकित करेंगे।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 2 जुलाई, 2024