केंद्र का दिल्ली पर प्रभुत्व
To Download Click Here.
उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में निर्णय दिया है कि दिल्ली के उपराज्यपाल को दिल्ली नगर निगम में एलडरमैन की नियुक्ति का स्वतंत्र अधिकार है। यह निर्णय कुछ अर्थों में विवादास्पद कहा जा सकता है।
कुछ बिंदु –
- यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की निर्वाचित विधानसभा की प्रासंगिकता पर सवाल उठाता है।
- इस निर्णय से लगता है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की निर्वाचित सरकार पर केंद्र का प्रभुत्व है।
- संवैधानिक प्रावधान कहता है कि उपराज्यपाल सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि के विषयों को छोड़कर, राज्य और समवर्ती सूची के सभी मामलों पर दिल्ली के मंत्रिपरिषद् की सहायता और सलाह लेने को बाध्य हैं। लेकिन
- न्यायालय ने दिल्ली सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया है कि नगर प्रशासन राज्य का विषय होने के नाते, उपराज्यपाल के स्वतंत्र अधिकार से बाहर है।
- न्यायालय का कहना है कि 1993 में संशोधित दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 में प्रशासक या उपराज्यपाल को 10 विशेष ज्ञान वाले व्यक्तियों को नामित करने का अधिकार है।
बहरहाल, यह पूरा मुद्दा केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच दलीय कटुता और मतभेद का मुद्दा है। न्यायालय के इस निर्णय से यह पता चलता है कि अन्य राज्यों के विपरीत दिल्ली विधानसभा के अधिकार क्षेत्र पर संविधान संसद को कानून बनाने की शक्ति देता है।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 8 अगस्त, 2024
Related Articles
×