कश्मीर में चलने वाली अंतहीन परीक्षा

Afeias
23 Mar 2023
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कश्मीरी पंडितों की हत्या के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। भले ही इनमें से कुछ हमले कश्मीरी पंडितों के मन में भय पैदा करने के लिए किए जा रहे हों, लेकिन ये कहीं-न-कहीं हमारी रक्षा एजेंसियों की विफलता को दर्शाते हैं। दूसरी ओर, नागरिकों को निशाना बनाने वाले कट्टरपंथी तत्वों की कार्यप्रणाली हमेशा स्पष्ट रही है। ये हमले सरकार को दमन के लिए उकसाने के लिए किए जाते हैं। इससे राज्य की जनता में असंतोष भड़कता है, और यह आतंकवादी गतिविधियों में अधिक लोगों को लिप्त करता है।

सरकार क्या कर सकती है-

  • सुरक्षा बलों को अपना काम करना चाहिए। वे कर भी रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि हाल ही में बैंक गार्ड की हत्या के दोषी को मार दिया गया है। लेकिन घाटी में लगातार फैला, जा रहे डर के सामने ऐसे उपाय बहुत कम हैं।
  • हत्याओं की बेशर्म प्रकृति प्रशासन और नागरिकों के बीच संबंधों के टूटने की ओर इशारा करती है। उग्रवाद के चरम दौर के समय सुरक्षित रहे क्षेत्र, अब अल्पसंख्यकों के लिए असुरक्षित समझे जा रहे हैं। अतः प्रशासन को घाटी में अपनी सुरक्षा-केंद्रित नीतियों पर फिर से विचार करना चाहिए।
  • घाटी के लोगों के निर्वाचित प्रतिनिधियों से बनी सरकार प्रभावी ढंग से काम कर सकती है। इसके माध्यम से प्रशासन और नागरिकों के बीच विश्वास का संबंध वापस बन सकता है। यह कट्टरपंथी वर्गों को अलग करने में मदद करेगा।
  • जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य बनाकर विधानसभा चुनाव कराने की दिशा में सोचा जाना चाहिए। लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से धार्मिक ध्रुवीकरण को पलटा जा सकता है।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 01 मार्च, 2023