चुनाव आयोग के लिए उच्चतम न्यायालय के निर्देश

Afeias
24 Mar 2023
A+ A-

To Download Click Here.

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग की नियुक्ति किसी निष्पक्ष पैनल से कराए जाने के निर्देश दिए हैं। इस निर्देश में आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को मिलाकर पैनल बनाने को कहा गया है। न्यायालय के इस निर्देश का स्वागत किए जाने के कई कारण हैं –

  • चुनाव आयोग देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए उत्तरदायी है। जनता और सभी राजनीतिक दलों का इस पर पूर्ण विश्वास होना महत्वपूर्ण है।
  • चुनाव आयोग की आलोचना करने वाले विपक्ष एवं अन्य आलोचकों को संतुष्टि हो जाएगी कि आयोग के सदस्य किसी विशेष पक्ष के नहीं हैं।
  • भाजपा जैसी लोकप्रिय पार्टी के भी यह अपने आपको निष्पक्ष सिद्ध करने का अवसर देता है।
  • न्यायालय के इस निर्देश का प्रभाव अन्य नियामक निकायों की स्वायत्तता पर पड़ने की पूरी संभावना है। इससे इन निकायों को कार्यपालिका के प्रभाव से मुक्त करके नामित संसदीय समितियों के प्रति जवाबदेह बनाया जा सकता है।

उच्चतम न्यायालय के इस निर्देश की आलोचना इस आधार पर की जा सकती है कि वह कार्यपालिका के कामों में हस्तक्षेप कर रहा है। इस आलोचना को खारिज करने के दो आधार दिए जा सकते हैं –

  • उच्चतम न्यायालय ने 2014 के लोकपाल अधिनियम के अनुसार प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पैनल के माध्यम से सीबीआई निदेशक की नियुक्ति की है।
  • संविधान के अनुच्छेद 142 के अनुसार ‘सर्वोच्च न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र के प्रयोग में इस तरह की डिक्री पारित कर सकता है, जो किसी भी कारण या लंबित मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक है।’

उच्चतम न्यायालय का निर्देश चुनाव आयोग को कार्यत्मक स्वतंत्रता प्रदान करके लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने वाला कहा जा सकता है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित टी.के. अरूण के लेख पर आधारित। 3 मार्च, 2023

Subscribe Our Newsletter