हमारे शिल्प की ब्रांडिंग कैसे हो?

Afeias
23 Jul 2025
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भारत पारंपरिक कला का खजाना है। इससे धन अर्जित करने की अपार संभावनाएं हैं। सवाल यह है कि देश की कुशल हस्तशिल्प कला को वैश्विक फैशन जगत तक कैसे पहुंचाया जाए?

कुछ बिंदु –

  • उपभोक्ता फैशन के लिए ज्यादा पैसे देने को तैयार हो जाते हैं। इसके लिए उन्हें उत्पाद से जुड़ी रचनात्मकता का महत्व बताने की जरूरत है। हाल ही में मिलान में हुए प्राडा स्प्रिंग। समर 2026 फैशन शो में कोल्हापुरी चप्पल की जोड़ी को लेदर फ्लैट सैंडल के रूप में रीब्रांड किया गया। इसकी कीमत 1.2 लाख रूपये प्रति जोड़ी थी।
  • भारतीय हस्तशिल्प को फैशन के बड़े वितरण नेटवर्क से जुड़ने की जरूरत है। इसके लिए यूरोपीय ब्रांडों और भारतीय कारीगरों के बीच अच्छा संपर्क होना चाहिए।
  • वेबलेन प्रभाव के अनुसार कीमत के साथ मांग बढ़ती है। हस्तशिल्प में यह समान रूप से लागू नहीं होता है। लेकिन इसका कारीगरी की पूरी श्रृंखला पर प्रभाव जरूर पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय खरीददारों की पसंद के गुणवत्ता मानकों पर तैयार उत्पाद, मूल्य को बढ़ाता है। इसका प्रभाव काफी दूर तक होता है।
  • हस्तशिल्प में ऐसी उत्पादन विधियों को अपनाया जाना चाहिए, जो उत्पादों को नया रूप दे सकें।
  • फैशन उद्योग एक क्लस्टर के रूप में अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकता है। इन्हें स्थापित कहीं भी किया जाए, लेकिन कौशल, डिजाइन, उत्पादन और वितरण से कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए।

‘द इकोनॉमिक्स टाइम्समें प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 28 जून, 2025