सॉफ्ट पावर कैसे बने भारत
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जोसेफ नाई एक ऐसे राजनीतिक विचारक और वैज्ञानिक रहे हैं, जिन्होंने ‘सॉफ्ट पावर’ शब्द को गढ़ा था। उन्होंने इसका उपयोग किसी देश की उस क्षमता का वर्णन करने के लिए किया था, जिससे वह दूसरे देशों से अपनी मनचाही चीजें मनवा सके। इस पैमाने पर, जापान की सॉफ्ट पावर बहुत बड़ी है।
इस पर कुछ बिंदु –
- हाल ही में जापानी एनीमेटेड फिल्म ‘डेमन स्लेयर’ आई है। इसने दुनिया भर में 40 करोड़ डॉलर से ज्यादा की कमाई कर ली है।
- एनीमे और मांगा जैसे कितने ही जापानी सांस्कृतिक उत्पाद हैं, जिनका वैश्विक प्रसार अद्वितीय है।
- पिछले एक दशक में भारत को जापानी शराब के निर्यात में 900% से ज्यादा की वृद्धि हुई है।
- जापानी सौंदर्य उत्पादों के 2030 तक भारतीय बाजार से 3.73 अरब डॉलर की कमाई करने का अनुमान है।
- इसी प्रकार कोरियाई संस्कृति ने भी ड्रामा, पॉप से लेकर इंस्टेट रामायण से दुनिया पर प्रभाव जमाया है।
मुद्दा यह है कि सॉफ्ट पावर के मामले में भारत कहाँ खड़ा है? देखते हैं –
- योग, आयुर्वेद और बॉलीवुड की वैश्विक स्तर पर गहरी अपील है।
- फैशन जगत की कुछ हस्तियां आगे बढ़ रही हैं। लेकिन ब्रांड इंडिया के लिए उनका उपयोग करने की रणनीति की कमी है।
- भारत के सांस्कृतिक निर्यात का एक बड़ा हिस्सा इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशन्स जैसी सरकारी संस्थाओं द्वारा सूक्ष्मरूप से प्रबंधित किया जाता है। इसमें निजी क्षेत्र और व्यक्तियों के लिए अवसर पैदा किए जाने चाहिए।
- जापान की ‘कूल जापान’ रणनीति की तरह भारत भी तैयार हो सकता है।
- कोरिया की तरह भारत को भी ऐसी नीति बनानी चाहिए, जो पर्यटन, व्यापार और निर्यात का मार्ग प्रशस्त करने के लिए उसकी सर्वोत्तम सांस्कृतिक पेशकशों को एक साथ लाए।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 18 सितंबर, 2025