गुणवत्तापूर्ण एवं समावेशी शिक्षा का एक मॉडल

Afeias
26 Jul 2023
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गुणवत्तापूर्ण एवं समावेशी शिक्षा समय की मांग है। उच्च शिक्षा में इसकी और भी अधिक आवश्यकता है। हाल ही में तमिलनाडु ने शिक्षा क्षेत्र में श्रेष्ठता प्राप्त करके इसे संभव कर दिखाया है। शिक्षा मंत्रालय के नेशलन इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क, 2023 में 100 शीर्ष कॉलेजों में सबसे ज्यादा तमिलनाडु में स्थित हैं।

नेशलन इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) के पैमाने –

      1) शिक्षण, ज्ञान-प्राप्ति (लर्निंग) और संसाधन (40%)

      2) स्नातक परिणाम (25%)

      3) अनुसंधान और व्यावसायिक अभ्यास (15%)

      4) आउटरीच और समावेशिता (10%)

      5) धारणा (परसेप्शन) (10%)

इनमें से हर पैरामीटर के कई घटक होते हैं।

कुछ बिंदु –

  • एनआरआईएफ रैंकिंग में भाग लेने वाले कॉलेजों की संख्या लगातार बढ़ते हुए 2023 में 2,746 पहुंच गई है। इस पांच गुना वृद्धि के बावजूद भाग लेने वाले कॉलेजों की संख्या बहुत कम कही जा सकती है। इसका सीधा सा मतलब है कि हमारे अधिकांश उच्च शिक्षण संस्थान उपरोक्त पैमाने पर बहुत पीछे चल रहे हैं।
  • रैंकिंग के अनुसार अच्छी गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा के मामले में तमिलनाडु शीर्ष पर है। इसके बाद दिल्ली, केरल और पण् बंगाल आते हैं। ये चार प्रदेश सामूहिक रूप से गुणवत्तापूर्ण संस्थानों का 89% पूरा कर देते हैं। अन्य बड़े राज्यों के किसी संस्थान का सूची में न होना चिंतनीय कहा जा सकता है।

आखिर तमिलनाडु की श्रेष्ठता का रहस्य क्या है?

  • तमिलनाडु का प्रदर्शन सामाजिक न्याय के साथ विकास के उसके आदर्श वाक्य के अनुरूप है। राज्य के शीर्ष रैंक वाले कॉलेज केवल चैन्नई के शहरी अभिजात वर्ग और सुविधा प्राप्त सामाजिक समूह तक ही सीमित नहीं हैं। वे ग्रामीण और सामाजिक रूप से वंचित समूह की पहुंच में हैं।
  • चैन्नई, कोयंबटूर और तिरूचिरापल्ली जैसे तीन नगरों में अधिकांश शीर्ष उच्च शिक्षण संस्थान हैं। लेकिन वे गरीबों और वंचित सामाजिक समूहों को समान स्थान देते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि तमिलनाडु में न केवल आरक्षण का कोटा सबसे ज्यादा है, बल्कि आरक्षण के कार्यान्वयन में भी यह काफी प्रभावी रहा है।
  • शीर्ष रैंक वाले एक-तिहाई से अधिक कॉलेज विभिन्न स्थानों पर फैले हुए हैं। ग्रामीण या पिछड़े क्षेत्रों में होने पर भी इन्होंने शीर्ष स्थान इसलिए प्राप्त किया, क्योंकि ये आर्थिक रूप से पिछड़े और वंचित सामाजिक समूहों के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के समान अवसर दे रहे हैं।

इस प्रकार, तमिलनाडु के अनुभव से समझा जा सकता है कि कैसे गुणवत्ता और समावेशन के साथ शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई जा सकती है। यह समावेशी और प्रभावी सामाजिक कल्याण ढांचे के लिए अन्य राज्यों के समक्ष एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करता है।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित सन्नी जोस के लेख पर आधारित। 28 जून, 2023

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