ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
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- हाइड्रोजन एक आवश्यक औद्योगिक ईंधन है। अमोनिया के उत्पादन से लेकर स्टील-सीमेंट बनाने, बस और कार चलाने वाले सैल को ऊर्जा देने में इसका उपयोग किया जाता है।
- यही कारण है कि केंद्रीय कैबीनेट ने अक्षय ऊर्जा के इस शक्तिशाली भंडार को बढ़ाने के लिए 17,490 करोड़ का बजट पारित किया है। इसके लिए नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन या एनजीएच मिशन काम कर रहा है।
- वर्तमान में ऊर्जा के उत्पादन का सबसे सस्ता तरीका कोयला और प्राकृतिक गैस हैं। इससे कार्बन-उत्सर्जन होता है। बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के कारण अब दुनिया का ध्यान पवन और ऊर्जा जैसे अक्षय स्रोतों से उत्पादन पर गया है। इसकी कीमत 3.5 से 5.5 डॉलर प्रति किलोग्राम होती है।
- कुछ समय से भारत में सौर ऊर्जा की कीमतें कम हुई हैं। इसके चलते ही सरकार यह मानकर चल रही है कि अक्षय स्रोतों से उत्पादित ग्रीन हाइड्रोजन की कीमत भी कम हो जाएगी।
- नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन (एनजीएच) मिशन का उद्देश्य भारतीय उद्योग जगत में ऐसा माहौल तैयार करना है कि वह ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन और आपूर्ति के लिए बुनियादी ढांचा तैयार कर सके। इससे ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग को तेजी से बढ़ाया जा सकेगा।
- एनजीएच मिशन इलेक्ट्रोलाइजर के विनिर्माण के लिए वित्तीय सहायता देने को प्रतिबद्ध है। इस उपकरण के माध्यम से जल में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग-अलग किया जा सकता है।
- 2030 तक 50 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। ग्रीन हाइड्रोजन पर आने वाले अधिक खर्च के कारण विश्व में उपलब्ध हाइड्रोजन का केवल 1% ही ग्रीन हिस्सा है।
भारत का उद्देश्य है कि वह ग्रीन हाइड्रोजन का औद्योगिक और वैश्विक निर्यातक केंद्र बन सके। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए भारत को सौर सेल, सेमीकंडक्टर और पवन शक्ति के घटकों का निर्यातक बनना होगा। नीतियों के बावजूद भारत ऐसा नहीं कर पाया है क्योंकि यहाँ विनिर्माण का आधार कमजोर है, और वैश्विक पूंजी के सार्थक उपयोग में अक्षमता है। अतः भारत को लघु विनिर्माण और संबद्ध उद्यमों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना होगा।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 6 जनवरी, 2023