
ग्राम पंचायातों की आत्मनिर्भरता पर एक नजर
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सरकारें चाहती हैं कि ग्राम पंचायतें अपने स्तर पर राजस्व संग्रह का मॉडल तैयार करें। स्थानीय स्तर पर विकास को गति देने के लिए ऐसा किया जाना चाहिए। लेकिन देश की अधिकांश ग्राम पंचायतें आज भी केंद्र और राज्य के अनुदान पर निर्भर हैं।
कुछ बिंदु –
- पंचायती राज अधिनियम के अनुसार भी ग्राम पंचायतों को स्वयं के स्रोतों से राजस्व जुटाने के लिए एक व्यापार सिस्टम तैयार करना चाहिए। संपत्ति, वाहन, जल-आपूर्ति, सफाई और स्वच्छता से लेकर 16 तरह के स्रोतों से कर – संग्रह किया जा सकता है।
- राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान के अध्ययन से पता चलता है कि पंचायतों ने स्वयं के स्तर पर राजस्व संग्रह से जुड़ी कोई कारगर प्रणाली तैयार नहीं की है।
- ऐसा देखने में आया है कि ग्राम पंचायतें अपने अधिकार क्षेत्र की तुलना में बहुत कम कर लगा रही हैं। संग्रह भी शून्य है। लेकिन सभी राज्यों में एक सी स्थिति नहीं है। आंध्रप्रदेश के कुरनूल जिले की एक पंचायत अपने बजट का 79.69% राजस्व जुटा रही है। जबकि उत्तर प्रदेश की स्थिति बहुत खराब है।
- अधिनियम के प्रावधान के अनुसार ग्रामीण स्थानीय निकायों को 29 विषय आवंटित किए गए हैं। लेकिन राज्यों में हस्तांतरण की सीमा में काफी भिन्नता है। कुछ राज्यों ने विषयों की मैपिंग पर काम किया है। वहीं कर्नाटक ने डाटा संग्रह और संकलन पर अधिक काम किया है। ग्राम पंचायतों से संबंधित डेटा के लिए उनकी एक वेबसाइट है।
सफल राज्यों का उदाहरण लेकर अन्य ग्राम पंचायतों को अपनी प्रणाली में सुधार करना चाहिए।
समाचार पत्रों पर आधारित। 14 अप्रैल, 2025