गिग कर्मियों के लिए कानून
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- भारत के गिग वर्कर्स या अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, दशक की शुरूआत में 77 लाख गिग कर्मचारी थे।
- 2029-30 तक उनका आय में 4.1% और कृषि कार्यबल में 6.7% योगदान होने का अनुमान है।
- अतः राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसा कानून बनाने की जरूरत है, जो उन्हें न्यूनतम मजदूरी, उचित कार्य घंटे और शर्तें एवं मजबूत सामाजिक सुरक्षा के साथ “कर्मचारी” का दर्जा प्रदान कर सके।
- हाल ही में कर्नाटक सरकार ने प्लेटफार्म आधारित गिग वर्कर्स (सोशल सिक्योरिटी एण्ड वेलफेयर) विधेयक 2024, प्रस्तावित किया है। यह केंद्र सरकार के सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 से एक कदम आगे है।
- कर्नाटक का कानून कल्याण बोर्ड और फंड के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा भी प्रदान करता है। इसमें सरकार और एग्रीगेटर का योगदान होता है, या फिर एप पर होने वाले लेने-देन पर मिलने वाले कमीशन के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है।
- ऐसे बोर्ड के साथ पंजीकरण करने से गिग वर्कर्स कानून की नजर में आने लगेंगे।
- इस विधेयक का उद्देश्य मनमाने ढंग से बर्खास्तगी को रोकना, मानवीय शिकायत नियंत्रण देना और स्वचालित निगरानी और अपारदर्शी भुगतान में पारदर्शिता लाना है।
अन्य राज्यों को भी कर्नाटक का उदाहरण लेकर इस दिशा में कदम उठाने चाहिए।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 11 जुलाई, 2024
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