
गरीबों की भाग्य विधाता बनी मुद्रा योजना
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मुद्रा योजना – जनहित, स्वरोजगार और आर्थिक उन्नति को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई पीएम मुद्रा योजना को 10 वर्ष पूरे हो गए है। इस योजना के अन्तर्गत सूक्ष्म और लघु व्यवसायों को 50 हजार से 20 लाख तक का ऋण प्रदान किया जाता है। वह भी गारंटी फ्री।
इस योजना के लाभ –
- इससे रोजगार सृजन हो रहा है अपने ही स्थान पर काम शुरू करने के कारण पलायन भी रुका है।
- इस योजना द्वारा आम लोगों का आर्थिक सशक्तीकरण हो रहा है। लोग जॉब सीकर से जाब क्रिएटर बन रहे हैं।
- साहूकारों के कर्ज के जाल में फंसना अब गरीबों के लिए बीती बातें हैं।
- इस योजना में 68% लाभार्थी महिलाएँ हैं, इससे महिलाएँ उद्यमी बन रही हैं। मुद्रा लोन में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने वाले राज्यों में उनके नेतृत्व वाले एमएसएमई के माध्यम से बहुत से रोजगार सृजित हुए हैं। इस तरह यह योजना महिला सशक्तिकरण में योगदान कर रही है।
- ‘आउटकम्स ऑफ मोदीनामिक्स 2014-24’ रिपोर्ट के अनुसार 2014 से हर साल कम से कम 5.14 करोड़ नए रोजगार शुरू हुए, जिसमें मुद्रा योजना ने 2.52 करोड़ स्थाई रोजगार जोड़े।
- जम्मू-कश्मीर; जो अलगाववाद और आतंकवाद से पीड़ित रहता था, वहाँ भी 20 लाख से अधिक लोन दिए गए हैं।
- इससे सीमांत गांव व पहाड़ी क्षेत्रों में भी लाभ हुआ है।
- इस योजना के अंतर्गत 52 करोड़ से ज्यादा लोगों को 32 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज दिया गया। इसमें 50% से अधिक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछडा वर्ग से हैं।
- इस योजना में नॉन परफार्मिंग एसेट भी सिर्फ 3% है। अर्थात् छोटा लोन लेने वाले लोन चुकाने में अधिक तत्पर रहते हैं।
आगे की राह –
- इस योजना के लाभार्थी अपने लिए रोजगार सृजन के साथ-साथ दूसरों को भी नौकरी देने वाले बने।
- कम राशि का कर्ज लेने वाले अधिक राशि का कर्ज लें और उसे चुकाए भी।
- मुद्रा योजना के लाभार्थी अपना व्यवसाय सूक्ष्म एवं लघु उद्यम में बदलें, इसके लिए सरकार योजनाएँ चलाए। ‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना इसमें सहायक हो सकती है।
- ग्रामीण स्तर पर इस योजना को नई दिशा देने के लिए अधिक प्रचार-प्रसार आवश्यक है। इससे ग्राम्य स्तर पर ही रोजगार सृजन होगा।
यह योजना न केवल क्रांतिकारी है, बल्कि गांव एवं गरीबों के जीवन-स्तर को भी ऊंचा उठा रही है।