गर्भपात का निर्णय आखिर किसके पास है?
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हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने एक महिला के 25 हफ्ते के गर्भ के गर्भपात के अनुरोध को खारिज कर दिया है। यह अनुरोध एक विवाहित महिला ने किया था। उसके पास पहले ही दो बच्चे है, और वह प्रसव पश्चात के अवसाद से पीड़ित है।
उच्चतम न्यायालय का निर्णय –
न्यायालय का कहना है कि चूंकि महिला का गर्भ स्वस्थ है, इसलिए उसे गर्भावस्था को जारी रखना चाहिए। जन्म लेने पर बच्चे को गोद दिया जा सकता है।
न्यायालय में अजन्मे शिशु के अधिकारों पर भी बात की गई, और अंततः पीठ ने गर्भपात की अनुमति देना अपनी अंतरात्मा के खिलाफ बता दिया।
कानून क्या है?
- भारतीय दंड संहिता के अनुसार महिला की इच्छा या अनिच्छा से किया गया गर्भपात जुर्म है। महिला का जीवन बचाने के लिए किया गया गर्भपात इसमें अपवाद है।
- 1971 में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेसी अधिनियम (एमटीपी) लाया गया। 2021 में इसमें संशोधन किया गया। इसके अनुसार 20 सप्ताह तक के गर्भ का गर्भपात कराया जा सकता है। इस हेतु एक चिकित्सक का परामर्श काफी होता है।
- 24 सप्ताह के गर्भ के गर्भपात के लिए दो चिकित्सकों का अनुमोदन आवश्यक होता है। लेकिन कुछ अपवादों में गर्भ की अवधि ज्यादा होने पर भी अनुमति दी जा सकती है।
न्यायालय के निर्णय में परेशान करने वाली बात यह है कि उन्होंने सामने मौजूद महिला के हितों पर कुछ भावी दत्तक माता-पिता के हितों को प्रधानता दी। हम अमेरिका या आयरलैण्ड में नहीं रह रहे हैं। भारतीय महिलाओं को प्रजनन से संबंधी स्वायत्तता मिली हुई है। लेकिन न्यायालय के निर्णय से वास्तविकता कुछ और ही दिखाई देती है।
इसके अलावा सामाजिक कलंक भी महिलाओं के लिए गर्भपात के अधिकारों के प्रयोग को चुनौतीपूर्ण बना देता है। 2021 के नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटी के अध्ययन में कहा गया है कि कानून गर्भपात पर अंतिम निर्णय डॉक्टरों पर छोड़ा जाना चाहिए। लेकिन डॉक्टर नैतिकता, शर्म और अपराध के मामले में विश्वसनीय नहीं कहे जा सकते हैं। एमटीपी के साथ प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेंस एक्टए प्री-कन्सेप्शन एण्ड प्री-नेटेल डायगनोस्टिक्स टेक्निक एक्ट ऐसे है, जो महिलाओं के अधिकारों में बाधा खड़ी करते हैं।
सुरक्षित, सुलभ गर्भपात को वास्तविकता बनाने के लिए, गर्भपात की वैधता के बारे में जागरूकता, और इससे संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की जरूरत है।
विभिन्न समाचार-पत्रों पर आधारित। 17 अक्टूबर, 2023