दुर्लभ खनिजों की वैश्विक आपूर्ति में चीन और भारत

Afeias
10 Jul 2025
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दुनिया की खदानों में मिलने वाले दुर्लभ तत्वों या रेयर अर्थ एलीमेंट्स का सबसे बड़ा भंडार चीन के पास है। हाल ही में अमेरिका के साथ छिडे़ टैरिफ युद्ध के बाद चीन ने इन तत्वों की वैश्विक आपूर्ति बंद करने की धमकी दी है। इससे पूरे विश्व पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, और भारत की इसमें क्या भूमिका हो सकती है, इसे जानते हैं।

कुछ बिंदु –

  • चीन दुनिया के दुर्लभ तत्व भंडार के आधे से भी कम हिस्से को नियंत्रित करता है। भारत के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा भंडार है।
  • वैकल्पिक ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स की बढ़ती मांग के कारण दुर्लभ खनिजों की मांग बढ़ने की उम्मीद है। चीन के आपूर्ति बाधित करने से भारत सहित दुनिया के अन्य देश खनन और शोधन पहल को बढ़ाएंगे।
  • भारत को अपने विशाल खनिज भंडार के उपयोग के लिए अनुसंधान एवं विकास पर जल्द निवेश बढ़ाना चाहिए। फिलहाल हम अपनी 4 खरब डॉलर की जीडीपी में से 0.6% अनुसंधान में निवेश करते हैं। चीन अपने 18 अरब डॉलर का 2.4%, अमेरिका 29 अरब डॉलर का 3.5% निवेश करता है। हमारा निजी क्षेत्र कुल व्यय का एक तिहाई हिस्सा ही देता है। जबकि अमेरिका और दक्षिण कोरिया में यह 70% है।
  • ऑटोमोबाइल, टीवी एवं कुछ अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स ऐसे हैं, जहाँ इन तत्वों के बिना काम चलाना मुश्किल है। इनके लिए भारत को चीन से बातचीत को तेज करना चाहिए।
  • भारत को दुर्लभ तत्वों की आपूर्ति प्रतिक्रिया बढ़ाने के लिए व्यापारिक भागीदारी के अवसर भी तलाशने चाहिए। आस्ट्रेलिया और रूस के पास भी दुर्लभ खनिज भंडार हैं। इन दोनों देशों से इस मुद्दे पर भी बातचीत में तेजी लाई जानी चाहिए।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्समें प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 11 मई, 2025