काले धन में कमी कैसे हो?
Date: 11-08-16
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- हाल ही में आयकर विभाग ने उन लाखों लोगों को नोटिस भेजा है, जिन्होंने अपने पैन नंम्बर दिए बिना मोटी रकम का लेन-देन किया है। ऐसे लेन-देन की संख्या लगभग 4 अरब रुपये है।
- बड़े पैमाने पर खर्च करने वाले लोगों के खर्चों पर नज़र रखकर सरकार ऐसे लोगों के विरूद्ध जाल बिछाना चाह रही है, जो कर अदा नहीं करते हैं।
- कर विभाग के पास अच्छी तकनीकें हैं, और वह चाहे तो इनका उपयोग करके हर बड़े लेन-देन को पैन या आधार कार्ड से जोड़ने के उपाय कर सकता है।
- अब तक लगभग 25 करोड़ पैन कार्ड दिए जा चुके हैं। इससे चार गुना अधिक आधार नम्बर दिए जा चुके हैं। हर बड़ी राशि के लेन-देन के लिए इनमें से किसी एक नम्बर का होना आवश्यक बना दिया जाना चाहिए।
- रियल एस्टेट में कर चोरी सबसे आम है। संपत्ति की रजिस्ट्री के समय ही विक्रेता और खरीदार के पैन या आधार नंबर का होना आवश्यक कर दिया जाना चाहिए।
- बेनामी भूमि सौदे पर नियंत्रण रखने के लिए ऐसा डाटा हो, जिसमें भू-मालिक का नाम डालते ही भूमि की रजिस्ट्री आदि की जानकारी सरकार को मिल जाए।
- वस्तु एवं सेवा कर के लागू होने के बाद जब समस्त सूचना तंत्र अंतर्सम्बन्धित हो जाएंगे, तब इस क्षेत्र पर शिकंजा कसे जाने की उम्मीद की जा सकती है।
- आयकर का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए। फिलहाल मात्र चार प्रतिशत लोग ही आयकर दाता हैं। कुछ ही हजार लोग ऐसे हैं, जो अपनी आय एक करोड़ से ऊपर दिखाते हैं। इसे बदलने की आवश्यकता है।
- इस संदर्भ में राजनैतिक दलों को अपने आय एवं व्यय का स्पष्ट ब्यौरा देने की आवश्यकता है। तभी काले धन पर नियंत्रण रखने की उम्मीद की जा सकती है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ के संपादकीय से