चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता लाई जाए
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देश में इलेक्टोरल बांड्स के माध्यम से होने वाली राजनीतिक फंडिंग काफी समय से विवाद का विषय बनी हुई है। कुछ राज्यों में होने वाले आगामी चुनावों के मद्देनजर एक बार फिर यह विषय चर्चा में है।
मुद्दा है कि चुनाव आयोग को चुनावी खर्च की अधिकतम सीमा को हटाकर राजनीतिक दलों को दी जाने वाली फंडिंग को पारदर्शी बना देना चाहिए। फंडिंग को बिना किसी सीमा के निगमों, ट्रस्टों और सभी व्यक्तियों के लिए खोलने की जरूरत है।
इस उद्देश्य को लेकर अमेरिका में राजनीतिक कार्रवाई समितियों या पी ए सी एस का उद्भव हुआ है। यह विश्व के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करता है। भारत को भी इसी राह पर आगे बढ़ने की जरूरत है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 11 जनवरी, 2022
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