चीन व अमेरिका के नए समीकरणों से भारत के लिए सबक

Afeias
15 Nov 2025
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चीन जहां निर्यात में महाशक्ति है, वहीं अमेरिका आयात में महाशक्ति है। अमेरिका अपनी इस शक्ति को पहचानता है।

दुनिया के सुअरों में 50% चीन में पाले जाते हैं, वहाँ पोर्क और तोफू खाने वाले बहुत से लोग हैं। चीन जहां सुअरों के लिए बड़ी मात्रा में मक्का व सोया आयात करता है, वहीं अमेरिका मक्के का सबसे बड़ा उत्पादक व सोयाबीन के बड़े उत्पादकों में से एक है। इस कारण ट्रंप किसानों से अपना रकबा बढ़ाने की बात कर पा रहे हैं।

भारत के लिए महत्वपूर्ण सबक –

  • अमेरिका 30 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था है। यह सबसे अधिक व्यापार घाटे वाली अर्थव्यवस्था है। चीन, जापान, द.कोरिया, वियतनाम तथा भारत को वहाँ से व्यापार अधिशेष प्राप्त होता है। इसलिए ट्रंप व्यापार घाटा कम करने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए जरूरी है कि भारत भी अमेरिका से कुछ खरीदे।
  • चीन अमेरिका को रेयर अर्थ मिनिरल्स निर्यात करता है तथा सबसे ज्यादा अमेरिका से मक्का व सोया आयात करता है। इसके बदले भारत केवल जेनरिक दवाईयां ही निर्यात करता है, जिसके बिना अमेरिका का काम नहीं चल सकता।
  • चीन ने जीएम सोयाबीन बोना शुरू किया। इससे उसके फसल उत्पादन में खूब वृद्धि हुई है। जबकि भारत की जैव प्रौद्योगिकी 2008 में रुकी हुई है। चीन जीएम फसलें खरीदने में भी संकोच नहीं करता। चीन की तरह हम अपने पशुओं को सोयाबीन नहीं खिला सकते, लेकिन सोयाबीन से तेल निकाल सकते हैं तथा खली का निर्यात कर सकते हैं। मक्के का प्रयोग एथेनाल बनाने के लिए किया जा सकता है। हम अमेरिका से जीएम फसलें नहीं खरीद रहे। जबकि घरेलू स्तर पर जीएम सरसों को खेतों में परीक्षण की अनुमति दे रहे हैं।
  • भारत को चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं। हमें चीन से सीखना चाहिए कि कैसे हम अपनी शक्ति को छिपाकर सही समय का इंतजार कर सकते हैं।
  • भारत का पोल्ट्री उद्योग समस्या में है। इसके लिए हम अमेरिका से मक्का आयात कर एक रणनीतिक कदम उठा सकते हैं।

आज जरूरत है कि हम अपने उत्पादों की गुणवत्ता इतनी बढ़ाएं कि वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। हमें सन् 1991 के उदारवाद के महत्वपूर्ण आर्थिक बदलाव की तरह फिर से अपने संरक्षणवादी रुख को छोड़ने की जरूरत है।

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