छोटे शहरों में बढ़ती नौकरी की संभावनाएं
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भारत का नौकरी बाजार महानगरों से बाहर निकलकर टियर 2 और 3 शहरों की ओर बढ़ रहा है। इन शहरों में मध्य वर्ग तेजी से बढ़ रहा है। इसके चलते बढ़ रहे उपभोग से अच्छे स्तर के रोजगार के अवसर भी बढ रहे है। कुछ बिंदु –
- वस्तुओं और सेवाओं का प्रमुख निर्यात इन शहरों से किया जाता है।
- विनिर्माण और फार्मा के अलावा आईटी उद्योग में भी कौशल विकास के अवसर इन शहरों में हैं।
- वित्तीय सेवाएं प्रसारित हो रही हैं। इसमें काम करने वालों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
- इन क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के प्रसार से गिग अर्थव्यवस्था बढ़ रही है।
- केंद्र और राज्य सरकारें मध्यम दर्जे के शहरों से संपर्क-साधन ठीक कर रही हैं। बुनियादी ढांचे का विकास हो रहा है।
- भारत के कई ऐसे टियर 2 और 3 शहर हैं, जो आर्थिक आउटपुट अच्छा दे रहे हैं। इन शहरों में आवास और परिवहन की मांग बहुत बढ़ी है। इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा की भी मांग में तेजी आई है। इन सभी उद्योगों का रोजगार पर गुणक प्रभाव पड़ता है।
- इन शहरों में बुनियादी ढांचा खड़ा करना भी आसान है, क्योंकि महानगरों की तुलना में यहाँ जमीन और श्रम सस्ता है।
- इन शहरों में जीवनयापन की लागत अपेक्षाकृत कम होती है। नौकरी करने वालों को यह आकर्षक विकल्प लगता है।
- चूंकि इस स्तर के शहर विकास बाजार हैं, इसलिए यहाँ कैरियर में प्रगति भी सुनिश्चित है।
इन शहरों में बढ़ते कौशल विकास के अवसरों के चलते राज्य के ही अन्य कस्बों व गांवों से प्रवास कर आने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। भारत के विकास के लिए टियर 2 और 3 शहरों में प्रगति की यह गति अच्छी कही जा सकती है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 4 सितंबर, 2023