स्ट्रीट आर्ट से बढ़ती शहरों की खूबसूरती

Afeias
07 Apr 2022
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अधिकांश भारतीय शहरों और कस्बों के हिस्से ठोस संरचनाओं, और भद्दे सार्वजनिक स्थानों से भरे पड़े हैं। इन सभी के लिए कुछ ऐसा किए जाने की आवश्यकता रही है, जिससे ये लुभावने हो सकें।

व्यवहार विज्ञान और सामान्य ज्ञान दोनों हमें बताते हैं कि किसी भी सलीकेदार और खूबसूरत स्थान को गंदा या नष्ट करने की संभावना बहुत कम होती है। इसी सोच को ध्यान में रखते हुए कुछ नगरों में भित्ति-चित्रों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इनके माध्यम में शहरी परिदृश्य सचमुच बदल भी रहा है।

2014 में नई दिल्ली की आईटीओ क्रासिंग पर जब महात्मा गांधी का 152 फीट ऊँचा म्यूरल बनाया गया, तो यह क्षेत्र जीवंत हो उठा। इसी तर्ज पर सार्वजनिक भवनों और यहाँ तक कि रिहायशी घरों की खाली दीवारों पर भी मनभावन चित्रकारी की जाने लगी है।

देश की राजधानी के साथ-साथ मुंबई, कोयंबटूर, पटना, चेन्नई, कोझीकोडे और कोलकाता के कई शहरों में भी कई प्रकार की कल्पनाशील आश्चर्यजनक कला सामने आ रही हैं।

इस दिशा में एशियन पेंट्स जैसी कंपनियां भी संगठनों के साथ सहयोग कर रही हैं। अन्य कार्पोरेट को भी देशभर में इस प्रकार की परियोजनाओं के लिए आगे आना चाहिए, जो उनके सामाजिक दायित्व का हिस्सा बन सकता है।

भारत तो रंग प्रधान देश है। अपनी संस्कृति के विविध रंगों को दीवारों के कैनवास पर उतारकर हम ईंट-पत्थर से बनी दीवारों को आकर्षक तरीके से सजा सकते हैं। इस प्रकार का प्रयास न केवल शहरों को और सुंदर, बल्कि सीखने और समझने की प्रक्रिया को भी बेहतर बना सकता है।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 26 मार्च, 2022

नोट : यह विषय सामान्य अध्ययन के पेपर -1 के अंतर्गत आता है।

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