चरमपंथियों पर नियंत्रण रखना जरूरी है
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पिछले कुछ समय से चरमपंथियों के सक्रिय होने की खबरें लगातार आ रही हैं। इन मामलों की तेजी को सिख खालिस्तानी अलगाववादी अमृतपाल सिंह की धरपकड़ के समाचारों से समझा जा सकता है। सुरक्षा एजेंसियों ने खुलासा किया है कि इस अलगावादी के तार आईएसआई और इस्लामिक स्टेट से जुड़े हुए हैं।
मामला केवल यहीं तक सीमित नहीं है। पंजाब सरकार ने उच्च न्यायालय में अर्जी लगाई है कि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम को बार-बार पेरोल दिए जाने से पंजाब की जेल में बंद कैदी बंदी सिंह की रिहाई की मांग तेज होने लगी है।
इसी प्रकार, महाराष्ट्र में इस्लाम विरोधी रैलियां बढ़ गयी हैं। पूरे राज्य में सकल हिंदू समाज के नाम से फैले कट्टरपंथी हिंदू समूह ने पुलिस की नाक में दम कर रखा है।
ऐसे मामलों में प्रशासन और पुलिस इंटरनेट को प्रतिबंधित करके फर्जी खबरों को फैलने से रोकने का प्रयत्न करते हैं। लेकिन यह कोई समाधान नहीं है। इतना करने से दोषियों को पकड़ा नहीं जाता। इससे राज्य भर की आर्थिक गतिविधियों को हानि पहुँचती है। प्रतिबंध से सही खबरें भी लोगों तक नहीं पहुंच पाती हैं। इससे लोगों की चिंता बढ़ती है। गलत खबरों को फैलने से रोकने के लिए सरकार को तकनीक के बड़े स्तर पर जाना चाहिए।
अमृतपाल की धरपकड़ का प्रयास जी 20 सम्मेलन के दो दिन बाद शुरू किया गया। इस बीच वह ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से सक्रिय रहा। इस प्रकार के चरमपंथी धार्मिक संगठनों को अनुमति देने वाले राजनीतिक दल और उनका आदेश मानने को मजबूर पुलिस की यह नीति खतरनाक है। किसी भी व्यक्ति या दल को देश की एकता और अखंडता को तोड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसकी रक्षा का प्रयत्न करना प्रशासन का कर्तव्य है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधरित। 21 मार्च, 2023