ब्रिक्स की बैठक से संबंधित कुछ बिंदु

Afeias
11 Nov 2024
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  • ब्रिक्स के विस्तार के बाद रूस के कजान में इसकी पहली बैठक हुई है।
  • इस बैठक में भारत को पश्चिम और पश्चिम विरोधी हितों के बीच संतुलन बनाने का अवसर मिला है। भारत चाहे तो अपनी इस भूमिका को आगे बढ़ा सकता है, या फिर विस्तार के साथ जुड़े देशों के सहयोग से अपने तटस्थ मार्ग पर कायम रह सकता है।
  • वास्तव में यह वैश्विक मंच भारत को खुद को गढ़ने का एक मंच प्रदान करता है। जिस क्षण से रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया था, भारत ने बहुध्रुवीयता, ऐतिहासिक संबंधों, रक्षा आवश्यकताओं, रणनीतिक गठबंधनों और साझेदारी, तथा आर्थिक आवश्यकताओं के संदर्भ में विकल्पों पर बहस की है।
  • यह मंच भारत को एक सक्रिय तटस्थ आवाज के रूप में उभरने का भी अवसर प्रदान करता है, जो नियम-आधारित विश्व-व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध है।
  • शांति के प्रति इसकी प्रतिबद्धता सिर्फ वैचारिक नहीं है, बल्कि कठोर भू-राजनीति की व्यावहारिकता से जुड़ी हुई है।
  • अपने इसी दृष्टिकोण के चलते भारत ने रूस से उस समय रियायती कच्चे तेल की खरीद जारी रखी, जब अमेरिका ने रूस पर तमाम प्रतिबंध लगा दिए थे। इस समय भारत ने तेल को परिष्कृत कर उसे दुनिया के बाकी हिस्सों को बेचकर आर्थिक सुरक्षा वॉल्व का काम किया था।

शांति, बहुध्रुवीयता और बहुपक्षवाद के प्रति भारत का समर्थन, न केवल विकासशील बल्कि विकसित देशों के लिए भी महत्वपूर्ण है।

द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 22 अक्टूबर, 2024