भारतीयों की बढ़ती शारीरिक निष्क्रियकता पर एक रिपोर्ट

Afeias
25 Jul 2024
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हाल ही में लैंसेट ने शारीरिक निष्क्रियता से संबंधित एक सर्वे की रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसमें 163 देशों और उनके क्षेत्रों में किए गए 507 सर्वे को रखा गया है। इसमें भारत भी शामिल है।

संबंधित बिंदु –

  • पहली हैरानी की बात यह है कि वैश्विक आबादी का एक तिहाई और भारत के आधे वयस्क डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित शारीरिक गतिविधि के स्तर को पूरा नहीं करते हैं। 
  • दूसरी बात यह है कि शारीरिक निष्क्रियता या अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि महिलाओं में अधिक है।
  • भारत एक कृषि प्रधान समाज है, और यहाँ आय के लिए कई स्तर पर शारीरिक श्रम की जरूरत होती है। ऐसे में इतने सारे भारतीय निष्क्रिय कैसे रह सकते हैं। महिलाओं पर भी घरेलू जिम्मेदारियां बहुत होती हैं। कईयों के पास तो खेती की भी जिम्मेदारी है। इसलिए हैरानी होती है कि भारत जैसे दक्षिण एशियाई देशों की महिलाएं शारीरिक गतिविधि में पुरूषों से पीछे कैसे रह सकती हैं।
  • अध्ययनों से पता चलता है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों का बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) शहरी क्षेत्रों के करीब पहुँच रहा है।
  • महिलाओं में पेट का मोटापा 40% है, जबकि पुरूषों में यह 12% है।
  • इसका कारण आहार में परिवर्तन, खेलने की जगह की कमी, और मोबाईल का अत्यधिक उपयोग कहा जा सकता है।

कुल मिलाकर, हमें शारीरिक गतिविधि में कमी को विलासिता समझने के बजाय एक प्रकार की कमी समझना होगा। इससे जुड़े कारणों को ठीक करने पर काम करना होगा।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधरित। 28 जून, 2024