भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (Bhartiya Sakshya Adhiniyam, 2023 – BSA)
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परिचय –
- इसे भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (Indian Evidence Act, 1872) के स्थान पर लाया गया है।
- इसका संबंध जाँच निर्णयों में आधार बनाये जा सकने वाले साक्ष्यों से है।
मुख्य प्रावधान –
- इस अधिनियम के द्वारा साक्ष्यों के दायरे में विस्तार किया गया है। अब निम्न भी साक्ष्यों के अन्तर्गत मान्य होंगे-
- इलेक्ट्रानिक एवं डिजिटल रिकार्ड,
- ईमेल, सर्वर लॉग्स, तथा कम्प्यूटर पर उपलब्ध दस्तावेज
- स्मार्टफोन और लैपटॉप के मेसेजेस।
- वेबसाइट, तथा
- लोकेशनल सबूत।
- किसी पुलिस अधिकारी के सामने दिया गया बयान साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य नहीं होगा। यहाँ तक कि पुलिस की हिरासत में की गई स्वीकारोक्ति भी तब तक स्वीकार्य नहीं होगी, जब तक कि वह मजिस्ट्रेट के द्वारा दर्ज न की गई हो।
हाँ, यदि हिरासत में किसी आरोपी से प्राप्त जानकारी के परिणामस्वरूप कोई तथ्य खोजा जाता है, तो उस जानकारी को स्वीकार किया जा सकता है, यदि वह स्पष्ट रूप से खोजे गये तथ्य से संबंधित हो।
- मौखिक साक्ष्य को इलेक्ट्रानिक रूप दिया जा सकता है। यानी कि आरोपी, गवाहों एवं पीड़ितों को इलेक्ट्रानिक माध्यम से गवाही देने की अनुमति मिल गई है।
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