भारतीय कृषि में एमएसपी योजना के माध्यम से रूपांतरण

Afeias
04 Mar 2022
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लंबे अरसे से चल रहा किसान आंदोलन भारतीय कृषि और कृषकों की जीविका के साधन में एक बड़े रूपांतरण की मांग कर रहा है। इस हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी तीन उद्देश्यों की पूर्ति करते हुए किसानों और भूमिहीनों की मांगों को संभाल सकता है।

  1. खाद्यान्न बाजार में मूल्य स्थिरीकरण –

हरित क्रांति के समय से ही खरीद और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में चावल, गेंहू और चीनी के लिए सुनिश्चित प्रोत्साहन मूल्य दिया गया। लेकिन मोटे अनाज, दालें और तिलहन सहित 20 प्रमुख फसलों पर ध्यान नहीं दिया गया। एमएसपी के इस आंशिक कवरेज ने हमारे फसल-पैटर्न को ही बिगाड़ दिया। इससे गेंहू, चावल और चीनी का कृषि क्षेत्र तो बढ़ता गया, किन्तु अन्य फसलों का सिकुड़ता गया। हमारे खाद्य सुरक्षा तंत्र की यही खामी रही। अतः एमएसपी का विस्तार करके 23 फसलों को कवर किये जाने से किसानों की आय में सुधार आएगा।

  1. किसानों की आय को समर्थन देने के लिए एमएसपी के बैंड –

फसल की स्थिति के आधार पर अधिकतम और न्यूनतम मूल्य की कीमत, बैंड में निर्धारित की जानी चाहिए। यानि अच्छी फसल वर्ष में कम कीमत और खराब फसल पर अधिक कीमत निर्धारित की जाए। कुछ चयनित मोटे अनाजों और जलवायु अनुकूल फसल पैटर्न को प्रेरित करने के उद्देश्य से ऐसी फसलों को बैंड में ऊपर स्थान दिया जा सकता है। इसी प्रकार, किसानों को आय समर्थन के माध्यम से एमएसपी का व्यापक कवरेज औद्योगिक मांग बढ़ाने (विशेषतः असंगठित क्षेत्र में) के लिए सकारात्मकता उत्पन्न करेगा।

  1. किसानों को ऋण-जाल से मुक्त करने के लिए तंत्र –

एमएसपी पर अनाज की बिक्री का प्रमाण पत्र प्राप्त करके किसान, बिक्री की राशि के अनुपात में क्रेडिट पॉइंट प्राप्त कर सकता है। यह उन्हें बैंक ऋण प्राप्त करने का अधिकार देगा। इससे कृषकों की ऋणग्रस्तता को दूर करने में मदद मिल सकती है।

एमएसजी योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने का दारोमदार, कार्यान्वयन एजेंसियों के विकेंद्रीकरण पर निर्भर करेगा।

उम्मीद की जा सकती है कि सरकार इस ओर ध्यान देते हुए कृषकों के जीवन में सुधार हेतु प्रवृत्त होगी।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित अमित भादुड़ी और कौस्तव बनर्जी के लेख पर आधारित। 11 फरवरी, 2022