भारत में पोषण एजेंडा का प्रसार हो

Afeias
25 Apr 2025
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  • भारत में पोषण का संबंध केवल खाद्य असुरक्षा से नहीं है। यह संस्कृति, जाति और लिंग के आधार पर बनाई गई हमारी आहार संबंधी आदतों से भी जुड़ा हुआ है।
  • पोषण संबंधी नीतियां बनाने में केवल महिलाओं और बच्चों में कुपोषण को केंद्र में रखा जा रहा है। जबकि सभी आयु वर्ग की महिलाओं, पुरूषों और वरिष्ठ नागरिकों में भी पोषण की कमी है। मधुमेह, रक्तचाप और जीवन शैली से जुड़े अन्य गैर संचारी रोगों का तेजी से फैलना कुपोषण से सीधे-सीधे जुड़ा हुआ है।
  • पोषण की कमी का मतलब खाने की पर्याप्त मात्रा का न होना और पर्याप्त पोषण युक्त भोजन न करना, दोनों ही या दोनों में से कोई भी हो सकता है।

कुछ तथ्य –

  • भारत में कुपोषित बच्चों और एनीमिया से पीड़ित महिलाओं की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण – 5 के अनुसार –

  • पांच वर्ष से कम आयु के 36% बच्चे अविकसित हैं। 
  • 6 माह से 23 माह तक की आयु के स्तनपान करने वाले मात्र 11% बच्चों को ही पर्याप्त आहार मिल पाता है। 15-49 आयु वर्ग की 57% महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं।
  • भारत में 24% महिलाएं और 23% पुरुष अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं।
  • 14% लोग मधुमेह की दवाएं लेते हैं।
  • स्वास्थ्य बजट 2025 में सरकार ने पोषण को प्राथमिकता दी है। सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 को बजट में अधिक आवंटन दिया गया है। इसकी मुख्य विशेषताएं – टेक होम राशन, पूरक खाद्य पदार्थ, गंभीर और अत्यधिक कुपोषण के मामलों की ट्रैकिंग तथा आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां वितरित करना आदि। 
  • पोषण के व्यापक एजेंडा में पोषण की पहचान को एक ऐसी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में पहचाने जाने की जरूरत है, जो सभी सामाजिक स्तर के लोगों को प्रभावित करती है। इसमें प्रजनन और बाल स्वास्थ्य में परे पोषण की आवश्यकताओं की स्पष्ट पहचान, स्थानीय खाद्य परंपरा और स्थानीय आहार सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए खाद्य जरूरतों को पूरा करने पर जोर होना चाहिए।
  • हमें पोषण संबंधी गतिविधियों को आबादी के अन्य वर्गों तक ले जाने की जरूरत है।
  • इसके लिए स्वास्थ्य और देखभाल कर्मचारी व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को शामिल किया जाना चाहिए।
  • इस हेतु स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण केंद्रों का संतुलित प्रसार किया जाना चाहिए। संपूर्ण आबादी को कवर करने वाली पोषण सेवाओं का विस्तृत सेट होना चाहिए।
  • पोषण एजेंडे की सफलता दो कारकों पर निर्भर करेगी – इसे स्थानीय अभिजात वर्ग और स्थानीय व्यंजनों से जोडना।

द हिंदू’ में प्रकाशित प्रियदर्शिनी सिंह के लेख पर आधारित। 17 मार्च 2025