भारत को परमाणु शक्ति की मजबूती चाहिए

Afeias
21 Mar 2022
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यूक्रेन पर हुए रूसी आक्रमण ने भारत को एक मजबूत परमाणु प्रतिरोधक क्षमता तैयार रखने का संकेत दे दिया है। चीन-पाकिस्तान की सैन्य मिलीभगत तेजी से जमीन से समुद्र तक फैल रही है। सामरिक स्वायत्तता पर अपने स्पष्ट रूख के साथ, भारत को अपने दो परमाणु सशस्त्र पड़ोसियों को अपने दम पर ही रोकना होगा।

इसकी जरूरत क्यों पड़ सकती है ?

  • एक वैश्विक अनुमान के अनुसार, पाकिस्तान के पास भारत की तुलना में अधिक परमाणु हथियार हैं। चीन के पास इनकी संख्या दोगुनी से अधिक है।
  • यूरोप पर अमेरिका के बढ़ते प्रभाव का जवाब देने के लिए चीन भारत की उत्तरी सीमाओं पर दबाव बढ़ा सकता है, हालांकि ताइवान उसका प्राथमिक लक्ष्य बना रहेगा। इसलिए भारत को सैन्य आधुनिकीकरण करते हुए अपेक्षित कमांड, नियंत्रण और एक मजबूत परमाणु हथियार तंत्र का निर्माण करना होगा।

परमाणु तंत्र में हमारी कमजोरी और मजबूती कहाँ है ?

  • हमारे पास बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस परमाणु संचालित पनडुब्बियों की कमी है। अभी तक भारत के पास आईएनएस अरिहंत के नाम से ऐसी एक ही पनडुब्बी है, जिसे रूस की मदद से बनाया गया था।
  • हवाई क्षेत्र में सुखोई – 30 एम के आई, मिराज-2000 और जगुआर लड़ाकू विमानों को लंबे समय से परमाणु ग्रेविटी बम देने में सक्षम बनाने का प्रयास किया जा रहा है। हाल ही में परमाणु शक्ति संपन्न राफेल लड़ाकू विमानों को बेड़े में शामिल करने से शक्ति बढ़ी है।
  • भूमि के स्तर पर देश की पहली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-वी की मारक क्षमता अच्छी है। अब पृथ्वी – II को स्ट्रेटेटिक फोर्सेस कमांड में शामिल किया जा रहा है। अग्नि- I, II और III भी सेना की परमाणु शक्ति बन गई हैं।

इसके साथ ही भारत सरकार और विशेषज्ञों को तय करना है कि भारत को अपने परमाणु हथियार भंडार को 150 से बढ़ाकर 200 तक करने की जरूरत है कि नहीं। लेकिन भारत की रणनीतिक वास्तविक राजनीति का स्वरूप ऐसा है कि वह बुद्ध की अहिंसा और शांतिप्रियता का आवरण नहीं छोड़ सकता।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित राजा पंडित के लेख पर आधारित। 5 मार्च, 2022