भारत की अर्थव्यवस्था और यूनिकॉर्न

Afeias
11 Mar 2022
A+ A-

To Download Click Here.

भारत में तेजी से बढ़ते यूनिकॉर्न के चलते वह वैश्विक स्तर पर अमेरिका और चीन के बाद तीसरे नंबर पर आ गया है। हरून ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडैक्स 2021 की इस सूची में मिलने वाली बढ़त के बाद भारत को यह देखना जरूरी है कि इससे अर्थव्यवस्था के साथ-साथ रोजगार की स्थिति में क्या अंतर पड़ सकता है।

  • यूनिकॉर्न के आर्थिक मूल्यांकन में पूंजी लागत, मांग और पूर्ति जैसे कई मैक्रोइकॉनॉमिक तत्व जुड़े हुए हैं। फिर भी भारत में इनकी स्थिति कुछ आधारों पर निर्भर करती है।
      1. भारत एक मुक्त बाजार व स्थिर लोकतंत्र है।
      1. यहाँ स्टार्टअप्स को प्राथमिकता दी जा रही है।
      1. डेटा तक पहुँच बढ़ती जा रही है। इंटरनेट की कम कीमत के चलते इसका प्रसार तेजी से हो रहा है।
      1. पिछले कुछ वर्षों में यहाँ जोमैटो जैसी इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) आई हैं। इससे देश में उद्यम पूंजी के बड़ी मात्रा में आने की संभावना बढ़ गई है।
  • यदि देखे तो रोजगार के स्तर पर देखें, तो स्टार्टअप से इस क्षेत्र में अवसर बढ़े हैं। उदाहरण के लिए फ्रेशवर्क की शुरूआत कुछ दर्जन कर्मचारियों के साथ हुई थी, परंतु थोड़े ही समय में इनकी संख्या 3,000 पहुँच गई।

स्टार्टअप के कर्मचारी धीरे-धीरे अपनी खुद की कंपनी खोलते हैं या किसी नवोन्मेष में निवेश करते हैं। नवोन्मेष और विकास के लिए तकनीक और कर्मचारी, दोनों की ही जरूरत होती है।

स्टार्टअप, रोजगार के अवसरों में और अधिक वृद्धि कर सकते हैं, लेकिन इनका लक्ष्य यह नहीं होता है।

भारत में प्रतिभा और नवोन्मेष की संभावनाओं को देखते हुए उम्मीद की जा सकती है कि यहाँ वेन्चर कैपिटल या उद्यम पूंजी को लेकर वैश्विक पूंजीपतियों की फंडिंग की गति बढ़ेगी, और इससे अर्थव्यवस्था की भी रफ्तार बढ़ेगी।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित एक संवाद पर आधारित। 25 फरवरी, 2022

Subscribe Our Newsletter