
भारत की प्राथमिक शिक्षा पर रिपोर्ट के कुछ बिंदु
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- हाल ही में वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट 2024 जारी की गई है।
- रिपोर्ट के अनुसार देश में प्राथमिक शिक्षा की मांग बढ़ी है।
- डेटा से पता चलता है कि 3-4 वर्ष की आयु के 80% से अधिक ग्रामीण बच्चे प्री प्राइमरी संस्थानों में नामांकित हैं।
- 6-14 आयु वर्ष के सभी ग्रेड में नामांकन में सुधार हुआ है। इस आयु वर्ग में पढ़ने और अंकगणित की बुनियादी क्षमता में 2022 की तुलना में सुधार हुआ है। यह महामारी पूर्व के स्तर से आगे निकल चुका है।
- स्कूलों के बुनियादी ढांचे का विस्तार हुआ है।
- रिपोर्ट में पहली बार 14-16 वर्ष के बच्चों की डिजिटल साक्षरता पर एक खंड शामिल किया गया है। इस स्तर पर लैंगिक असमानताएं देखने को मिली हैं। आज के समय में डिजिटल साक्षरता उतनी ही जरूरी है, जितनी कि बुनियादी शिक्षा। उचित बजट और लक्षित नीतियों से असमानताओं को दूर किया जाना चाहिए।
- नेशनल इनिशिएटिव फॉर प्रोफिशियेंसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिंग एण्ड न्यूमरेसी (एनआईपीयूएन) या ‘निपुण भारत’ एक ऐसी पहल है, जो प्राथमिक शिक्षा में बच्चों की सीखने-पढ़ने के कौशल का मूल्यांकन करती है। इसके दायरे में अब अधिकांश स्कूल आते हैं।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 29 जनवरी, 2025
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