भारत के प्रति मालदीव की नीति से रणनीतिक राहत
Date:26-11-20 To Download Click Here.
भारत और मालदीव के बीच संबंधों की लंबी परंपरा रही है। मालदीव की वर्तमान सोलिह सरकार के साथ द्विपक्षीय संबंधों का स्वरूप विशेषरूप से आर्थिक पक्ष पर और भी अच्छा हो गया है। इसको मोदी सरकार की ‘पड़ोसी पहले’ की नीति के मॉडल के रूप में भी देखा जा रहा है।
कुछ विशेष बिंदु –
- दोनों देशों के संबंधों और रोजमर्रा के आदान-प्रदान को तकनीक ने काफी सरल बना दिया है। भारत में शिक्षा के लिए मालदीव के विद्यार्थियों और स्वास्थ सेवा के लाभ के लिए रोगियों का आनाए अब आसान बना दिया गया है। वीजामुक्त भारत आगमन की अवधि को बढ़ा दिया गया है।
- मालदीव का मुख्य आर्थिक आधार पर्यटन है। भारतीयों के लिए यह पर्यटन और रोजगार के अवसर के रूप में उभरकर सामने आया है। भारत ने मालदीव के लिए आवश्यक वस्तुओं के निर्यात-प्रतिबंधों में छूट दे रखी है।
- भारत ने मालदीव के बुनियादी ढांचों के निर्माण में हर प्रकार से संपूर्ण सहायता दी है।
- सोलिह सरकार को दो हेलीकॉप्टर और उसके संचालन के लिए दो सैन्य अधिकारियों को भी दिया है।
- कोविड-19 के दौरान दवाओं की आपूर्ति की गई है।
यद्यपि भारत ने मालदीव की यामीन सरकार के समय उत्पन्न हुए जल संकट पर तुरंत सहायता दी थी, तथापि यामीन के समर्थक भारत-विरोधी अभियान चलाते रहे हैं। कोविड-19 के दौरान मिलने वाली भारतीय मदद से इन समर्थकों को भी लाभ पहुँचा है। लेकिन वे अभी भी पूरी तरह से शांत नहीं हैं। यामीन सरकार ने अपना झुकाव भी चीन के प्रति दिखाया था।
वर्तमान सोलिह सरकार इस प्रकार त्रिपक्षीय संबंधों की पक्षधर नहीं है। उसकी इस नीति से भारत सरकार को रणनीतिक राहत मिली है। सोलिह सरकार ‘भारत पहले’ की नीति को लेकर चल रही है। मालदीव और भारत समुद्र साझा करते हैं। इस समुद्री क्षेत्र में भू-रणनीतिक बदलावों के चलते भारत की चिंताएं बढ़ रही हैं। ऐसे में हमारे विदेश सचिव का मालदीव दौरा और भारत के प्रति मालदीव की मित्रतापूर्ण नीति बहुत महत्व रखती है।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित एन.सत्यामुर्ति के लेख पर आधारित। 9 नवम्बर, 2020