भारत-असियान के बीच व्यापारिक संबंध बढ़े
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हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने 21वीं सदी को ‘भारत और आसियान की सदी’ कहा है। साथ ही ‘आसियान एकता, आसियान केंद्रीयता और हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर आसियान दृष्टिकोण’ के लिए भारत के समर्थन की प्रतिबद्धता जताई है। भारत के लिए आसियान के महत्व पर कुछ बिंदु –
- अमेरिका की टैरिफ नीति, महत्वपूर्ण निर्यातों पर चीन की अड़चनें और समुद्री तनाव से उत्पन्न आर्थिक उथल-पुथल के बीच आसियान देशों पर भारत की निर्भरता जरूरी है।
- भारत अपने निर्यात की दिशा में विविधता लाना चाहता है। इसके लिए आसियान समूह के साथ व्यापार संधियां नए सिरे से तैयार की जा रही हैं।
- चीन और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार-वार्ता के साथ ही हिंद-प्रशांत के देशों के भी अमेरिका के साथ अतिरिक्त व्यापार समझौते होने की संभावना है। आसियान देशों के साथ हुए अमेरिकी द्विपक्षीय समझौते टैरिफ में भी राहत देंगे। ऐसे समय में भारत को आसियान व्यापार समझौतों का जल्द लाभ उठाना चाहिए।
भारत और आसियान ने जल्द ही आसियान भारत वस्तु व्यापार समझौते (एआईटीआईजीए) की समीक्षा को अंतिम रूप देने की प्रतिबद्धता जताई भी है। लेकिन मलेशिया में संपन्न शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की अनुपस्थिति से एक खाली स्थान बन गया है।
विभिन्न समचार पत्रों पर आधारित। 29 अक्टूबर, 2025