बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य में छिपी प्रगति की राह
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भारत की आर्थिक प्रगति के लिए उसके नागरिकों का सक्षम होना महत्वपूर्ण है। नागरिकों की क्षमता का निर्माण, अच्छी शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य से होता है। विश्व के अन्य देशों की तुलना में हम इन दोनों ही क्षेत्रों में काफी पिछड़े हुए हैं।
निम्न इन क्षेत्रों में सुधार के लिए कौन से कदम उठाए जाने चाहिए –
- देश के स्थानीय चुनावों में स्वास्थ्य और शिक्षा को प्रमुख मुद्दा बनाया जाना चाहिए।
- आपूर्ति पक्ष की जगह सेवाओं की पूर्ति की मांग पर जोर दिया जाना चाहिए।
- केंद्रीकरण की जगह विकेंद्रीकरण को अपनाते हुए हितधारकों को सशक्त बनाया जाना चाहिए।
- सेवाओं से जुड़े क्षेत्रों के लिए स्थानीय सरकारों को अधिकार दिए जाने चाहिए। बेहतर यह होगा कि स्कूल बोर्ड और स्वास्थ्य बोर्ड स्थापित किए जाएं। इनमें ऐसे उपयोगकर्ता सदस्य हों, जो स्थानीय सरकार के निर्णयों के लिए प्राथमिक इनपुट का काम करें। दिल्ली सरकार द्वारा स्कूलों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में किए गए सुधारों से पता चलता है कि स्थानीय सरकार के सशक्त होने से बदलाव लाया जा सकता है।
- देश की आधारभूत सेवाओं की स्थिति इतनी खराब है कि हमारा मध्य वर्ग उनका उपयोग ही नहीं करना चाहता है। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए क्रांति की जानी चाहिए।
- निजीकरण के माध्यम से भी सेवाओं को सुधारा जा सकता है। ऐसा किए जाने पर कुछ नियम जरूरी हैं, जो पारदर्शिता को बनाए रख सकें।
- सरकार का नियामक पक्ष, सेवा प्रदान करने वाले पक्ष से स्वतंत्र होना चाहिए।
- सरकार और निजी प्रदाताओं को समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देने से सेवाओं की गुणवत्ता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
अंततः, जब तक हम सिस्टम के बुनियादी ढांचे को ठीक नहीं करते हैं, तब तक संसाधनों का अपव्यय होता रहेगा। इसको ठीक करने का सबसे अच्छा रास्ता जनता को जागरूक करना और नेताओं को जबावदेह बनाना है। यदि आगे आने वाले किसी भी चुनाव में मुफ्त राशन और बिजली की जगह अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य को मुद्दा बनाया जाए, तो जनता का समान हित किया जा सकता है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित रघुराम राजन एवं रोहित लांबा के लेख पर आधारित। 24 मार्च, 2022
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