बैंकों के प्रशासन की देखभाल
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सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रशासन को ठीक करने के लिए फाइनेंशियल सर्विसेज इंस्टीट्यूशन ब्यूरो या एफएसआईबी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह न केवल बैंक के निदेशकों की पहचान करता है, बल्कि उन्हें प्रशिक्षण भी देता है। हाल ही में वैश्विक स्तर पर फैली आर्थिक अनिश्चितता ने वित्तीय क्षेत्र के जोखिमों को बढ़ा दिया है। इसलिए समय पर कार्रवाई के माध्यम से बैंकों की कमजोरियों को दूर करने के लिए नियामकों की आवश्यकता है। इसके अलावा निगरानी, सुरक्षित जोखिम प्रबंधन और धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए भी कदम उठाये जाने चाहिए।
कुछ बिंदु –
- बैंकों के प्रशासन को ठीक करने के लिए बोर्ड मेंबर के रूप में अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों के चयन की विधि मायने रखती है।
- स्वतंत्र निदेशकों को शेयरधारकों के लिए प्रबंधन की जवाबदेही बनाए रखनी चाहिए।
- प्रणालीगत सुधार की भी आवश्यकता है।
- सरकार की ओर से होने वाले राजनीतिक हस्तक्षेप को खत्म किया जाना चाहिए।
- निजी क्षेत्र के वरिष्ठ बैंकरों के लिए अच्छे वेतन की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को इस क्षेत्र के लिए आकर्षित किया जा सकता है। साथ ही इससे उन्हें अनैतिक तरीके से समृद्ध होने से रोका जा सकता है।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बोर्ड को मुख्य जोखिम अधिकारी की नियुक्ति का अधिकार होना चाहिए। यह नियुक्ति बाजार-निर्धारित मुआवजे के साथ हो। वरिष्ठ बैंकरों के लिए भी इसका प्रावधान होना चाहिए। इस प्रकार भिन्न स्तरीय मुआवजा-व्यवस्था और बैंक के दीर्घकालीन प्रदर्शन से जुड़े घटकों को संभाल लेने से लंबे समय में अच्छे रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है।
बैंकिंग सुपरविजन पर बनी बेसल समिति का मत है कि किसी बैंक का कॉर्पोरेट प्रशासन ही उसकी अखंडताए उत्कृष्टता और अनुपालन के लिए जिम्मेदार होता है। अतः इसका अच्छा होना बहुत जरूरी है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 22 सितम्बर, 2022