
बढ़ते समुद्री प्रदूषण में भारत की भूमिका
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मालवाहक जहाजों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं से समुद्री प्रदूषण के बहुत से मामले सामने आ रहे हैं। इन जहाजों में लगने वाले कंटेनरों ने विश्व व्यापार लॉजिस्टिक को काफी बढ़ावा दिया है। लेकिन कई हाथों, जहाजों और यार्डों से गुजरने वाले प्रत्येक कंटेनर में क्या है, इसकी निगरानी और नियंत्रण भारत के साथ-साथ सभी के लिए एक वैश्विक समस्या बनी हुई है।
कुछ बिंदु –
- हाल ही में 640 से ज्यादा कंटेनर ले जा रहे एमएससी एल्सा 3 जहाज के कोच्चि तट पर डूब जाने से समुद्री प्रदूषण के बढ़ते की समस्या आ खड़ी हुई है।
- इनमें से कई कंटेनर में कैल्शियम कार्बाइड, प्लास्टिक के छर्रे, रबर सॉल्यूशन, ईंधन तेल और डीजल जैसे घातक रसायन भरे हुए हैं। इनका सुरक्षित निपटान एक समस्या बना हुआ है।
- अक्सर देखा जाता है कि ऐसे मामलों में एजेंसियों के बीच भ्रम और समन्वय की कमी से प्रतिक्रिया में देरी होती जाती है।
- आर्थिक विकास की महत्वाकांक्षी योजनाओं में ट्रांसरिपमेंट की बड़ी भूमिका है। इसे देखते हुए सरकार ने राष्ट्रीय और वैश्विक ट्रांसशिपमेंट ट्रैफिक को आकर्षित करने की योजना बनाई है। इसी कड़ी में अडानी विझिनजाम बंदरगाह को शुरू किया गया है।
- इसकी सफलता के लिए भारत को समुद्री आपदाओं से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार रहना होगा। राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्म्किता योजना जैसी और योजनाएं बनाने की आवश्यकता है, जो समुद्री आपदा की स्थिति में त्वरित और सटीक प्रतिक्रिया करते हुए स्थिति को संभाल सकें।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 30 मई 2025