
बदलते समय के साथ बदलती विश्व व्यापार संगठन की आवश्यकता
जून महीने के आरंभ में विश्व व्यापार संगठन की महानिदेशक नगोजी ओकोंजा इवेाल ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अपने भाषण में कहा कि बहुपक्षीय संस्थानों के पक्ष में बोलने की आवश्यकता है। खासतौर पर तब; जबकि दबदबे वाली फंडिंग अर्थव्यवस्था ने इसकी आवाज और प्रासंगिकता को दबाने की ठानी है। अमेरिका द्वारा विवाद निस्तारण प्रणाली की अपीलीय संस्था में नियुक्तियाँ रोक दी गई है। दीर्घकालिक वार्ताओं और परिणामों की कमी तथा बुनियादी प्रक्रिया व मुक्त व्यापार को आगे बढ़ाना; इन तीन कारणों से यह संस्था मुश्किलों से गुजर रही है।
जनरल एग्रीमेंट और टैरिफ एंड ट्रेड के 23 सदस्यों वाली संस्था के 1994 में डब्ल्यूटीओ में परिवर्तित होने से अब इसकी सदस्य संख्या 166 हो गई।
विश्व व्यापार संगठन के समक्ष चुनौतियाँ –
- विकसित, विकासशील व अल्पविकसित देशों के अलग-अलग हितों के कारण कृषि सब्सिडी, गैर कृषि बाजार पहुँच और सेवा उदारीकरण जैसे मुद्दों का सहमति आधारित हल मुश्किल रहा है।
- व्यापार सुविधा समझौता और मत्स्य पालन सब्सिडी को लेकर कठिन चर्चा के बाद सहमति बन सकी है।
- डब्ल्यूटीओ के इकलौते व्यापार उदारीकरण कार्यक्रम अर्थात दोहा विकास दौर को रद्द किए जाने से अधिकांश मंत्रीस्तरीय बैठकें केवल पहले किए गए समझौतों के क्रियान्वयन से संबंधित प्रशासनिक निर्णयों तक सिमट गई हैं।
- वैश्विक व्यापार अब वैश्विक मूल्य श्रंखला द्वारा संचालित होता है। इसने उसने मुक्त व्यापार समझौतों और मुद्दा आधारित बहुपक्षीय समझौतों के नियम-निर्माण का वैकल्पिक मार्ग बना दिया है।
- बहुपक्षीय वार्ता में रुचि रखने वाले कुछ देश संपूर्ण सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व न करने वाली वार्ता शुरु कर देते हैं। इससे एजेंडा आगे बढ़ाने पर खतरा उत्पन्न हो जाता है।
विश्व व्यापार संगठन का सकारात्मक योगदान –
- सन् 2000 तक जहाँ 100 एफटीए हुए थे, वहीं आज उनकी संख्या 600 पार कर चुकी है। एफटीए में अब बौद्धिक संपदा, निवेश, सेवा तथा पर्यावरण जैसे मुद्दे भी शामिल हो गये हैं।
- एक समय सदस्यता अतिक्रमण तथा नियमों की जटिलता के कारण बड़े क्षेत्रीय व्यापार समझौतों की आलोचना की जाती थी। लेकिन अब उनके द्वारा भी एफटीए को सहज बना दिया गया है, इससे विकासशील देशों को लाभ हुआ है।
- यद्यपि डब्ल्यूटीओ के अधीन बहुपक्षीय समझौतो को गति मिली। लेकिन यह एफटीए से कम रही। 1996 में पहला सूचना प्रौद्योगिकी समझौता हुआ था, जिससे सदस्य देशों को शुल्कयुक्त प्रौद्योगिकी उत्पादों को आयात-निर्यात किया गया।
- ई-कामर्स, निवेश सुविधा और वैकल्पिक अंतरिम विवाद निस्तारण प्रक्रिया में बहुपक्षीय समझौतों के तहत पहल की गई है। लेकिन इसमें प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का सहयोग नहीं मिला।
- जहाँ बहुपक्षीय व्यापार वार्तांए सफल नहीं होतीं, वहाँ द्विपक्षीय वार्तांएँ होती हैं। जैसे-अमेरिका-जापान, आस्ट्रेलिया-सिंगापुर, यूरोपीय संघ-दक्षिण कोरिया का डिजिटल व्यापार समझौता।
- आज के दौर में संरक्षणवादी एकपक्षीयता और नीतिगत अनिश्चितता बढ़ती जा रही है। ऐसे में वैश्विक व्यापार नियमों की निरंतरता पर विचार करना होगा।
डब्ल्यूटीओ की चुनौतियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। तेजी से विकसित हो रही वैश्विक व्यापार संदर्भों की जरूरतों के अनुरूप इसके विकास में सहायता के लिए वैकल्पिक साधनों यानी बहुपक्षीय समझौतों और एफटीए के संयोजन की आवश्कता है।