अनुसंधान के लिए दान की आस
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हमारे देश में शोध एवं अनुसंधान पर बहुत कम खर्च किया जाता है। यही कारण है कि भारत उन्नत तकनीकों के मामले में काफी पिछड़ा माना जाता है। यदि इससे संबंधित कुछ तथ्यों पर नजर डालें, तो यह और भी स्पष्ट हो जाता है –
- भारत के सकल घरेलू उत्पाद में ग्रॉस डोमेस्टिक एक्सपेंडीचर ऑन आर एण्ड डी का प्रतिशत बहुत कम (0.66%) है। पिछले कुछ वर्षों में इस दर में गिरावट देखी जा रही है।
- 2022-23 के बजट में विभिन्न अनुसंधान एवं विकास संगठनों को निधि आवंटन में निरंतर ठहराव देखा जा सकता है। वित्तमंत्री के बजट भाषण में दो संदर्भ दिखाई देते हैं। (1) रक्षा अनुसंधान एवं विकास उद्योग को स्टार्टअप और शिक्षाविदों के लिए खोला जाएगा, जिसमें रक्षा बजट का 25% शोध अनुसंधान के लिए निर्धारित किया जाएगा। (2) एआई, भू-स्थानिक तंत्र और ड्रोन, सेमीकंडक्टर, अंतरिक्ष आदि, नवोदित क्षेत्रों के लिए सरकारी सहयोग का उल्लेख तो किया गया, परंतु निधि आवंटन की चर्चा नहीं की गई।
क्या किया जाना चाहिए –
- 2020-21 के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि जीडीपी में शोध-अनुसंधान के वर्तमान प्रतिशत को बढ़ाकर 2% तक किया जाना चाहिए।
- निजी क्षेत्र को भी अपना योगदान 37% से बढ़ाकर 68% कर देना चाहिए।
- अधिकांश विकसित देशों में आर एण्ड डी की फंडिंग निजी क्षेत्र या निजी दान के द्वारा की जाती है।
भारत में हाल ही में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सांइस को 425 करोड़ का दान मिला है, जो आर एण्ड डी के लिए बहुत महत्व रखता है। 2021 में भारतीय अरबपतियों की संख्या बहुत बढ़ गई है। लेकिन एक अध्ययन से पता चलता है कि भारत के फाउंडेशनों में, अन्य देशों की तुलना में बहुत कम दान दिया जाता है।
- वैश्विक स्तर पर नाम कमाने वाले विश्वविद्यालयों की नींव में शोध की संस्कृति और ज्ञान की खोज रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में राष्ट्रीय शोध संस्थान के गठन का प्रस्ताव रखा गया है। वित्त मंत्री ने इस हेतु 50,000 करोड़ रु. के आवंटन का प्रस्ताव रखा था। परंतु प्रस्तुत बजट में इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया।
- अगर सरकार को इस दिशा में गंभीर प्रयास करने हैं, तो जीडीपी में इसकी भागीदारी को कम से कम एक प्रतिशत कर देना चाहिए।
- सांइस इंजीनीयरिंग रिसर्च बोर्ड एक ऐसी संस्था है, जो पहले ही प्रतिस्पर्धा के आधार पर इससे जुड़े प्रोजेक्ट की फंडिंग कर रही है। इसे अपग्रेड किया जा सकता है।
- इस क्षेत्र में भारत की स्थिति बेहतर करने के लिए, शोध-अनुसंधान में मानव संसाधन को अपग्रेड किया जाना चाहिए।
- भारत के युवा वैज्ञानिकों को बेहतर पारिश्रमिक के साथ अनुसंधान में लगे रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित।
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