अफ्रीका में भारत के लिए अनेक अवसर हैं

Afeias
23 Oct 2024
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भारत अफ्रीका का दूसरा बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वित्त वर्ष 23 में लगभग 106 अरब डॉलर की व्यापार साझेदारी हुई है। हम अफ्रीका में चौथे बड़े निवेशक भी हैं। पूरे महाद्वीप में लगभग 30 लाख भारतीय बसते हैं। इसलिए भारत को अफ्रीका में अपनी पैठ बनाए रखने के लिए पर्याप्त अवसर हैं। भारत को बस बेहतर रणनीति तैयार करने की जरुरत है।

कुछ बिंदु –

54 देशों, 1.4 अरब लोगों और असंख्य जरुरतों के साथ, अफ्रीका इतना बड़ा और विविधतापूर्ण है कि भारत इसे अन्य किसी देश से पीछे नहीं रख सकता।

चीन और अफ्रीका के बीच ‘फोरम ऑन चाइना अफ्रीका कोऑपरेशन’ चल रहा है। लेकिन फार्मा जैसे कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ भारत चीन से आगे निकल सकता है। बड़े पैमाने पर विनिर्माण का चीनी मॉडल अफ्रीका के लिए अनुपयुक्त है। भारत का एमएसएमई मॉडल अफ्रीका के लिए सबसे ठीक है।

सॉफ्ट स्किल्स में भी भारत आगे है। अधिकांश अफ्रीकी देश आधार, यूपीआई जैसे नवाचारों के साथ अपने इकोसिस्टम को उन्नत करने के इच्छुक हैं।

अफ्रीकी कृषि पर मंडरा रहे संकट में भी भारत का अनुभव और सफलता काम आ सकती है।

खास तेलों जैसे उत्पादों को अफ्रीका में स्थानीय स्तर पर संसाधित करके, उन्हें भारत में निर्यात करना पारस्परिक रुप से फायदेमंद हो सकता है।

रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र भी अफ्रीका के सहेल देशों के लिए प्राथमिकता है। इसमें भी भारत मदद कर सकता है।

अफ्रीका देशों के साथ व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते के माध्यम से व्यापार बढ़ाया जाना चाहिए।

नीतिगत स्तर पर, हमें चीन के व्यापार मॉडल का अनुसरण करने की जरुरत नहीं है। अफ्रीका के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए दिखावे वाली नीतियों की जरुरत नहीं है।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित महेश सचदेव के लेख पर आधारित। 21 सितंबर, 2024

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