आपदा प्रबंधन की मुस्तैदी
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कुछ बिंदु –
- हाल ही में गुजरात में आए शक्तिशाली चक्रवाती तूफान के लिए भारत मौसम विज्ञान विभाग की मुस्तैदी ने बड़ी हानि को टाल दिया है। निःसंदेह बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ, मवेशियों की मौत हुई। लेकिन केवल दो लोगों के हताहत होने की सूचना आई है।
- ज्ञातव्य हो कि मौसम विभाग ने लगभग चार दिन पहले से ही इस पर चेतावनी देनी शुरू कर दी थी। इसके चलते लगभग एक लाख लोगों को आश्रय स्थलों में ले जाया जा सका। रेलवे ने कई ट्रेनें रद्द कर दीं और मछुआरों को समुद्र से दूर रहने की चेतावनी दी गई। करीब 30 केंद्रीय और राज्य आपदा राहत टीमों को तैयार रखा गया था।
- हाल के वर्षों के अनुभव से पता चलता है कि चक्रवात के अपेक्षित प्रभाव का सटीक अनुमान 36. 60 घंटे पहले ही लगाया जा सकता है। लेकिन एहतियाती उपायों की अपनी सीमाएं होती हैं।
- 1998 में गुजरात में ही आए चक्रवात में करीब तीन हजार लोगों की मौत हो गई थी। आज के संदर्भ को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत उस युग से बहुत आगे बढ़ गया है।
- हालांकि, नए खतरे हमेशा मंडराते रहते हैं। कई अध्ययनों से चेतावनी मिलती रहती है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते अरब सागर में तबाही वाले चक्रवात आते रहेंगे।
- इनका सामना करने के लिए भारत को और अधिक तैयार रहने की जरूरत है। समय पर लोगों से घर खाली कराए जाने की नीति अपनी जगह सही है। लेकिन कुछ स्थायी उपायों के लिए तटीय नियमन-क्षेत्र नियमों को लागू करके, बुनियादी ढांचों को तटरेखा से विशिष्ट दूरी पर ही बनाया जाना चाहिए।
- ग्रामीण, तटीय निवासियों के घरों को मजबूत किया जाना चाहिए।
- बेहतर लचीलेपन के लिए आद्रभूमियों में मैंग्रोव जैसे प्राकृतिक बांधों को मजबूत किया जाना चाहिए।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 19 जून, 2023
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