
75 वर्ष का भारत
To Download Click Here.
आर्थिक सुधारों का प्रभाव –
1991 में हुए उदारीवादी आर्थिक सुधारों के साथ ही उद्यमशीलता को बढ़ावा मिला है। भारत के बारे में अत्यधिक गरीबी का विचार दुनिया से हट गया है। लुप्त होता मध्य वर्ग, अब बहुत व्यापक हो गया है।
चुनौतियां अभी भी हैं –
अभी भी भारतीय अपने आर्थिक जीवन में संस्थाओं के कुशासन के कारण त्रस्त हैं। आर्थिक प्रगति में बाधक प्रमुख संस्थाओं में कम स्टाफ वाली न्यायपालिका प्रमुख है। यह आर्थिक रूप से तर्कहीन निणयों के कारण आर्थिक विकास में बाधक बन गई है। दूसरी, कम स्टाफ वाली और गैर जवाबदेह नौकरशाही है। यह अभी भी ‘अनुमतियों’ और मंजूरी के दुष्चक्र में फंसी हुई है।
राजनीतिक व्यवस्था मूल रूप से इन्हें सुधारने में अक्षम है, क्योंकि राजनीति व्यक्तियों पर नहीं, बल्कि सामूहिकता पर केंद्रित होती जा रही है।
भविष्य उज्जवल हो सकता है –
- भारत अमेरिका और चीन के बाद 2032 में दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा।
- नेतागण भी निष्कर्ष निकाल लेंगे कि यह बहुत अच्छी स्थिति है, और यहाँ कुछ क्षेत्रीय सुधारों के अलावा कुछ भी बदलने की जरूरत नहीं है।
भारत की इस उत्कृष्ट स्थिति के साथ ही यह उस देश के साथ भयानक अन्याय होगा, जहाँ आज ही यह दिखाई दे रहा है कि सही प्रकार की संस्थाओं के साथ नागरिक, औसत से कहीं अधिक अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। आज ही अगर हम संस्थानों को ठीक कर सकते हैं, अनावश्यक प्रतिबंध हटा सकते हैं, स्वास्थ्य और शिक्षा पर अधिक खर्च कर सकते हैं, तो सोचिए कि मुख्य रूप से औद्योगिक विनिर्माण पर आधारित अगले दशक की 8% की सालाना विकास दर हमें किस आसमान तक ले जा सकती है। देश को तदनुरूप ढालने की आवश्यकता है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 15 अगस्त, 2022