आर्थिक सुधारों के पच्चीस वर्ष

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22 Jul 2016
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Date: 22-07-16

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  • जुलाई 1991 में श्री पी.व्ही.नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्व में जिन आर्थिक सुधारों की शुरूआत हुई थी, उन्हीं के फलस्वरूप जो भारत सन् 1991 में विकासशील देशों के समूह जी-77 का सदस्य था, आज 2016 में वह विश्व के शक्तिशाली देशों के समूह जी-20 का सदस्य बन चुका है।

  • भारत को इक्कीसवीं शताब्दी की एशियाई महाशक्ति के रूप में भी देखा जा रहा है, जो चीन को टक्कर दे सकता है।
  • सन् 1991 में भारत जहाँ अंतरराष्ट्रीय विकास संघ की लगभग 40 प्रतिशत राशि का याचक था, आज वहाँ यह ऋण लेने के साथ-साथ ऋणदाता भी बन गया है। गौरतलब है कि हाल ही में भारत ने अफ्रीका को दस अरब और बांग्लादेश को दो अरब डॉलर का ऋण दिया है।
  • सन् 2011 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 375 डॉलर थी, जो आज बढ़कर 705 डॉलर हो गई है। इसने भारत को कम आय से मध्यम आय समूह वाले देशों में पहुँचा दिया है।
  • अगर क्रय शक्ति की बात करें, तो भारत अमेरिका और चीन के बाद तीसरी आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरकर आया है।
  • 2015 और 2016 में 6 प्रतिशत की विकास दर को बनाए रखते हुए भारत आज विश्व मेंं सबसे तेज गति से बढ़ती आर्थिक-शक्ति के रूप में जाना जा रहा है।
  • सन् 2004 और 2011 के बीच 8 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए। अरविंद पनगढ़िया एवं विशाल मोने के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में दलित एवं मुस्लिम समुदाय के अधिक लोग अन्य समुदाय के लोगों की अपेक्षा गरीबी रेखा से ऊपर आए हैं।
  • हरित क्रांति ने भारत को सूखे और अकाल की समस्या से जूझने में सक्षम कर दिया है। 2014 और 2015 के लगातार सूखे के बावजूद भारत ने 2014 में सबसे ज्यादा चावल का निर्यात किया।
  • आज भारत में लगभग हर वर्ग के पास मोबाइल फोन है। पूरे विश्व में दूरसंचार की सबसे सस्ती दरें भारत में हैं।
  • आर्थिक विकास के बावजूद अभी भ्रष्टाचार, कचरा निष्पादन, स्वच्छता, शिक्षा एवं स्वास्थ्य ऐसे विषय हैं, जिन पर भारत को बहुत अधिक काम करना है।

द इकॉनॉमिक टाइम्समें प्रकाशित

 श्री स्वामीनाथन ए. के लेख पर आधारित

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