सौभाग्य योजना
Date:17-10-17
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ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता सौभाग्यवश ही होती है। विद्युत ऊर्जा का व्यावसायीकरण होने के बाद से धीरे-धीरे इसका विस्तार होना शुरू हुआ है। दरअसल, अलग-अलग बसे हुए छोटे-छोटे गांवों में विद्युत आपूर्ति का काम बहुत महंगा पड़ता है। यही कारण है कि सरकार ने पूरे देश में 100 प्रतिशत विद्युत आपूर्ति का बीड़ा उठाया है और उसे पूरा करने में लगी हुई है।
विदेशों के उदाहरण लें, तो अमेरिका ने 1930 में ही अपने ग्रामीण क्षेत्रों तक बिजली पहुँचाकर लक्ष्य पूरा कर लिया था। वहीं चीन ने 1980-90 के बीच उदारवादी नीतियों के तहत इस लक्ष्य को पूरा किया।
भारतीय सरकार की सहज बिजली हर घर योजना (Saubhagya) भी इसी राह पर चल रही है। इसके अंतर्गत अब केवल 4 करोड़ घर विद्युत आपूर्ति से वंचित हैं, जिसे 1000 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति के लिए ऊर्जा की पर्याप्त उपलब्धता आवश्यक है। ऐसा देखा गया है कि ऊर्जा संपन्न राज्यों ने कृषि उत्पादन में बहुत वृद्धि की है। इसके अलावा विद्युतीकरण के साथ सामाजिक लाभ, स्वास्थ्य लाभ, शिक्षा एवं सुरक्षा, जीवन स्तर में सुधार, मनोरंजन, सूचनाओं का प्रसार आदि क्षेत्र जुड़े हुए हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की बढ़ती खपत का अंदाजा मध्य प्रदेश के एक उदाहरण से ही लगाया जा सकता है। यहाँ शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की प्रति व्यक्ति खपत का अंतर लगातार कम होता जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह खपत तब और अधिक बढ़ेगी। जब उन्हें 24 घंटे बिजली मिलने की गांरटी हो जाएगी।सौभाग्य योजना के द्वारा निर्धन परिवारों को निःशुल्क बिजली देना, एक निश्चित समय सीमा एवं व्यावसायिक सेवाओं के लिए स्थानीय स्रोतों को उपयोग में लाने से ही इस योजना को सफलता मिली है। अब गांवों में बिजली की उच्च दर, आपूर्ति की कमी एवं निवेश की कमी जैसी बातें बहुत दूर दिखाई देती हैं।
भारत में बिजली आपूर्ति की स्थिति सुखद है। कोयले का आयात कम हो गया है और नवीकरणीय ऊर्जा की स्थिति निरंतर बेहतर होती जा रही है।
सरकार को विद्युत आपूर्ति को आदर्श स्थिति में बनाए रखने के लिए राज्य सरकारों पर भी दबाव बनाए रखना होगा। सरकार को लाइसेंस और सरचार्ज पर कानूनी छूट के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में आपूर्ति की अनियमितताओं पर भी ध्यान देना होगा। सौभाग्य योजना के माध्यम से ग्रामीण विद्युत आपूर्ति के लिए लाइसेंस का काम स्मार्ट तकनीक के जरिए किए जाने का प्रावधान है। इससे बिजली विभाग में परिवर्तन जरूर आएगा।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित कामेश्वर राव के लेख पर आधारित।