समय है, आगे बढ़ने का
Date:30-10-19 To Download Click Here.
भाजपा सरकार ने अपने प्रथम कार्यकाल में वस्तु व सेवा कर एवं मौद्रिक नीति समिति जैसे कई बड़े सुधारवादी कदम उठाए थे। अपने द्वितीय सोपान में सरकार ने कर व्यवस्था, रियल एस्टेट, वित्तीय सेवाओं और कृषि में कई ढांचागत सुधार किए हैं। विश्व की खुली अर्थव्यवस्थाओं में से भारत एक है। नीति-निर्माण में आर्थिकम विकास एवं रोजगार के अवसर बढ़ाने पर ही अधिक जोर है। सरकार ने उद्यमिता एवं पूंजी में बढ़ोतरी को बढ़ावा देने का संकेत दिया है।
अब व्यापार की ओर ध्यान देने का समय है। भारत में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने फाइलों और नौकरशाही के गैर जरूरी अवरोधों को समाप्त करने का प्रयत्न किया है। इसके कुछ अन्य कारण भी हैं।
- वैश्विक बाजार में जिन वस्तुओं की मांग है, उनकी उचित कीमत लगाना।
- भारत में विश्व के अन्य भागों में प्रवासी भारतीयों के अंदर उच्च स्तर की प्रतिभा पाई जाती है।
- विश्व में अच्छे एवं लाभकारी व्यापार के प्रति जागरुकता आ गई है। इसमें निवेश के लिए निवेशक उत्सुक हैं।
- जलवायु परिवर्तन को देखते हुए हरित अर्थव्यवस्था की तैयारी की जा रही है।
- तकनीकी चलन एवं ट्रेड वार ने नए उद्योगों के लिए अपार संभावनाएं प्रदान की हैं।
उपरोक्त स्थितियों का लाभ उठाते हुए व्यापारी जन अपने उद्यम में वृद्धि कर सकते हैं। इस हेतु उन्हें कुछ बिन्दुओं को ध्यान में रखना होगा।
- नवाचार और उन्नत तकनीक के चलते व्यापार के नित नए मॉडल आ रहे हैं। यहाँ तक कि जमे हुए व्यापारी भी स्टार्टअप में निवेश कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें साहसी होने की आवश्यकता है, क्योंकि ये नए उपक्रम विफल भी हो सकते हैं। सावधानी रखनी होगी कि इनके साथ जमे हुए व्यापार को घाटा न पहुँचे।
संस्थागत फाईनेंसिंग को जल्द लाया जाना चाहिए। स्वामित्व के अधिकार में लचीलापन हो। नए उपक्रमों को प्रबंधन को सौंपे जाने की भी व्यवस्था हो।
- संपूर्ण विश्व में प्रतिस्पर्धा का समय है। भारत के बाजार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सदैव खुले रहते हैं। वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उतरे लोग बहुत ही व्यावसायिक दृष्टिकोण रखते हैं। ये भारत में निवेश के लिए इच्छुक रहते हैं। भारतीय कंपनियों को विश्व की प्रतिस्पर्धा में अपना बेंचमार्क स्थापित करना होगा।
तत्पश्चात् निर्यात और संचालन से राजस्व बढ़ाया जा सकता है। कई फार्मा कंपनियां इसी पैटर्न पर काम कर रही हैं।
- प्रतिभा का मूल्य समझना जरूरी है। अधिकांश कंपनियों को प्रतिभा विकास और प्रबंधन-नियंत्रण को वैश्विक स्तर का बनाने की आवश्यकता है। निर्णय की क्षमता को विकेन्द्रीकृत करना, व्यापार-प्रणाली को प्रोन्नत करना, परिवहन विकास और क्षतिपूर्ति को वैश्विक मानकों के अनुसार लाना होगा।
- विश्व के संपन्न देशों के व्यापार सरकार और उसकी नीतियों के इर्द-गिर्द घूमते हैं। अतः नीति-निर्माण, नियमन और मानकों के संबंध में गतिशीलता एवं परस्पर संवादात्मकता होनी चाहिए।
प्रभावशील उद्योग संगठन होने चाहिए, जो सरकार के साथ उद्योग संबंधी गहन और विस्तृत चर्चा कर सकें।
भारत ने अपने नागरिकों के लिए एक मजबूत सामाजिक सुरक्षा का नेटवर्क तैयार कर दिया है। अब 5 खरब डॉलर की व्यवस्था के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए व्यापारी और उद्यमी आगे आकर इस क्षेत्र को फ्यूचर रेडी बनाएं, अच्छे रोजगारों का सृजन करें, और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएं।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित जयंत सिन्हा के लेख पर आधारित। 4 अक्टूबर, 2019