शहरी प्रदूषण की समस्या से कैसे निपटें

Afeias
09 Dec 2016
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delhi-pollution-afp-file_650x400_71434542291Date: 09-12-16

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बढ़ते प्रदूषण की समस्या से हम सब परिचित हैं। पूरा विश्व ही शहरी प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व की लगभग 80 प्रतिशत शहरी आबादी प्रदूषित हवा में सांस ले रही है। यह समस्या निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में और भी अधिक है। इन देशों की लगभग 95 प्रतिशत शहरी जनसंख्या प्रदूषण का शिकार है।भारत में भी यह समस्या विकराल होती जा रही है। इसका ठीकरा कभी उद्योगों, कभी किसानों और कभी जनता के सिर पर फोड़ दिया जाता है। परंतु वास्तव में समस्या का निदान एक-दूसरे के सिर दोष मढ़ने से नहीं होगा।

  • शहरों के प्रदूषण से निपटने के लिए भारत को निम्न ठोस कदम उठाने होंगे
    • आज शहरों के प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बढ़ते वाहनों को माना जा रहा है। सरकार भी इस ओर सतर्क है और लगातार वाहन कम करने के लिए कभी 15 साल से ज्यादा पुरानी डीजल कारों को बंद कर रही है, तो कभी ऑड-ईवन वाहन चला रही है। मैट्रो और बस जैसे सार्वजनिक परिवहन के साधन भी पर्याप्त मात्रा में चलाए जा चुके हैं। लेकिन कारों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ ही रही है।
    • भारत में स्वचालित ईंधन और वाहनों की अधिक प्रभावशाली तकनीकों को तुरंत अपनाने की आवश्यकता है। इलैक्ट्रिक मोटर कार के निर्माण और उपयोग को प्रोत्साहित करने के तरीके निकालने होंगे।
    • संपीड़ित प्राकृतिक गैस की वर्तमान तकनीक की सीमाएं हैं। इसे उन्नत करने की आवश्यकता है। वर्तमान के वाहनों में गैस भरने की क्षमता सीमित है। इसे बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही सी एन जी के स्टेशन बहुत कम हैं, जिन्हें बढ़ाया जाना जरूरी है।
    • अधिक कार्यकुशल वाहनों को बनाने के लिए अनुसंधान एवं शोध की जरूरत होगी। जाहिर है कि शोध में जो लागत लगेगी, उसकी भरपाई जल्दी करने की कोशिश की जाएगी। इसका प्रभाव उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा। उम्मीद की जा सकती है कि देश के लोग प्रदूषण से होने वाले नुकसान को देखते-समझते हुए महंगे परंतु प्रदूषण मुक्त वाहनों की कीमत का बोझ सहन करने में पीछे नहीं हटेंगे।
    • नगरों की परियोजनाएं बनाने वाले लोग आज बेहतर तकनीकों का उपयोग करके अधिक सक्षम परिवहन के साधन ढूंढ सकते हैं।
    • विद्युत आपूर्ति को आसान बनाना होगा। शहरों में सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ाया जा सकता है। जनरेटर के लिए अच्छे इंजन का प्रयोग करके प्रदूषण को कम किया जा सकता है। शहरों की परिधि पर बने ऊर्जा संयंत्र भी ईंधन के रूप में यदि पूरी तरह से गैस का प्रयोग करें,तो और अच्छा होगा।
    • अब शहरों की पुनर्रचना में ही कोई हल ढूंढा जा सकता है। शहरी वाहनों को कम करने के लिए कार्यस्थलों या कार्यालयों के आसपास ही आवासीय सुविधा हो, जिसे लोग साइकिल या पैदल ही नाप सकें।

प्रदूषण की चुनौती से निपटने के लिए दूरदर्शिता, सामान्य चेतना और नागरिक भागीदारी की बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है।

इकॉनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित सुनील कांत मुंजाल के लेख पर आधारित।

 

 

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