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लद्दाख में सौर ऊर्जा
Date:04-12-19 To Download Click Here.
सरकार ने जम्मू-कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश बनाने के साथ ही दावा किया था कि इससे वहाँ व्यापारिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा, जिससे आर्थिक विकास होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। सरकार का यह दावा फिलहाल मरीचिका सिद्ध हो रहा है। हांलाकि केन्द्र सरकार ने हाल ही में एक योजना में 45,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है, लद्दाख के लिए है। भारत की नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यकता को देखते हुए ही योजना लाई जा रही है।
विशेषताएं एवं लाभ
- भारतीय सौर ऊर्जा निगम ने 2023 तक 7,500 मेगावाट सौर ऊर्जा की स्थापना का लक्ष्य रखा है।
लद्दाख के ठंडे रेगिस्तान में सबसे ज्यादा सौर ऊर्जा ग्रहण की जा सकती है। यहाँ का आसमान अक्सर खुला रहता है। वर्षा भी बहुत कम होती है। हिमपात के दिनों में भी यहाँ का आसमान साफ रहता है। अतः पूरे देश में, यहाँ पर सूर्य की रोशनी से सबसे ज्यादा ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। इसके बाद पश्चिमी राजस्थान का नंबर आता है।
- दूसरे, यहाँ पवन की गति बहुत तेज है। अतः यहाँ पवन ऊर्जा देने वाली टर्बाइन भी लगाई जा सकती है। सौर ऊर्जा को एकत्रित करके खाली करने वाली ट्रांसमिशन लाइन का उपयोग पवन ऊर्जा के लिए भी किया जा सकता है।
- सौर ऊर्जा के लिए बहुत अधिक भूमि की आवश्यकता होती है। सरकारी जमीन भी बहुतायत में है। सस्ती भूमि से सौर ऊर्जा की कीमतें कम हो जानी चाहिए।
- सौर ऊर्जा प्लांट लगने से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के साधन बढ़ेंगे।
चुनौतियां
- लद्दाख में भूमि की कीमत कम है, परन्तु यहाँ पानी की बहुत कमी है।
- सौर ऊर्जा साइट तक पहुँचने के लिए सड़कों का जाल बिछाना होगा।
- यहाँ का विद्युत ढांचा बहुत कमजोर है। अतः डीजल जेनरेटर का प्रयोग अधिक होगा।
- लद्दाख के छोटे-छोटे गाँवों में जनसंख्या विरल है। यहाँ के लोग कुशल श्रमिक नही है। अगर इन्हें प्रशिक्षण देकर काम दिया भी जाए, तो उच्च कौशल की मांग रखने वाले निर्माण और रखरखाव जैसे कार्यों के लिए बाहर से विशेषज्ञों को बुलाना पड़ेगा।
- उपकरणों को साइट तक पहुँचाना बहुत महंगा पड़ेगा।
- यहाँ की मिट्टी ढीली है।
- 10,000 फीट से ऊपर की ऊंचाई और शून्य से नीचे के तापमान पर काम करने से श्रमिक बीमार पड़ सकते हैं।
- तेज हवाओं से निर्माण कार्यों में चुनौती आ सकती है।
- तेज हवाओं और कम तापमान में सौर ऊर्जा को यथास्थान ले जाने के लिए लंबी ट्रांसमिशन लाइन की आवश्यकता होगी, जो महंगी होगी।
कुल-मिलाकर, विशेषज्ञों का अनुमान है कि देश के अन्य प्रधान क्षेत्रों के बजाय लद्दाखी सौर ऊर्जा की कीमत दोगुनी हो सकती है।
उम्मीद यह भी है कि शुरूआती दो मोड्यूल के लिए शायद कीमत ज्यादा आए, परन्तु क्रमशः यह कम हो सकती है। सरकार को चाहिए कि वह ज्यादा-से-ज्यादा आउटपुट पाने के लिए नवीन तकनीक को अपनाए।
सरकार का यह प्रयास स्वागतयोग्य है। इसमें संभावनाओं के साथ-साथ चुनौतियां भी हैं। उम्मीद की जा सकती है कि समय के साथ लद्दाख को उत्तर भारतीय पावरहाऊस के रूप में देखा जा सकेगा।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित स्वामीनाथन अंकलेश्वर अय्यर के लेख पर आधारित। 9 अक्टूबर, 2019