राष्ट्रीय पर्यटन विधेयक

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18 Apr 2018
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Date:18-04-18

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आज विश्व की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बहुत बड़ा योगदान है। विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में इसका भाग लगभग 9 प्रतिशत है। वैश्विक स्तर पर यह उद्योग 20 करोड़ रोजगार के अवसर उत्पन्न करता है। यही कारण है कि अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग, निर्माण और वित्त की तरह ही सरकारी क्षेत्र, निजी क्षेत्र एवं पत्रकारिता जगत में पर्यटन को इतना महत्व दिया जाता है।

भारत के संदर्भ में पर्यटन उद्योग का बहुत महत्व है। भारत की भौगोलिक और सांस्कृतिक स्थिति के चलते इसे अर्थव्यवस्था को गति देने के तौर पर इस्तेमाल में लाया जाना चाहिए। इस दिशा में वर्तमान सरकार के प्रयास सकारात्मक रहे हैं। वीज़ा- ऑन-अराईवल, ई-टूरिस्ट वीज़ा, पर्यटन संस्थानों का विकास, सड़कों का निर्माण एवं सुधार तथा हवाई यात्रा को सुगम व सस्ता बनाना कुछ ऐसे सरकारी प्रयास हैं, जिनके कारण 2016 में पूरे विश्व में पर्यटकों की 4 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में, भारत में यह 9.7 प्रतिशत दर्ज की गई।

अगर भारत को पर्यटन को अर्थव्यवस्था की गाड़ी का इंजन बनाना है, तो उसके लिए जीएसटी परिषद की तर्ज पर एक सुनियोजित और व्यवस्थित सहकारी संघ बनाना होगा।

  • पर्यटन के विकास हेतु एक सस्टेनेबल टूरिज़्म इंटरवेंशन काऊंसिल या नेशनल टूरिज़्म बिल, 2018 लाया जाना चाहिए। इस परिषद् में केन्द्रीय पर्यटन मंत्री, राज्यों के पर्यटन मंत्रियों के साथ-साथ शिक्षाविद् व निजी क्षेत्र के लोगों को भी शामिल किया जाए। जी एस टी परिषद् की तरह ही यह संघीय सहकारिता के आधार पर काम करे।

भारत के अनेक राज्यों के पास पर्यटन को बढ़ावा देने की अनेक संभावनाएं हैं, परन्तु उनके पास नीतियों और संसाधनों का अभाव है। परिषद् के माध्यम से ऐसे राज्य राज्यों एवं केन्द्र की मदद से आगे बढ़ सकते हैं। परिषद् को चाहिए कि प्रतिवर्ष पाँच राज्यों को चुनकर उनके लिए एक एजेंडा बनाए। इसे वह इन राज्यों के जिला स्तर तक कार्यरूप में परिणत करे।

  • कुछ राज्यों के अनछुए और अनचीन्हें पर्यटन स्थलों के लिए संपर्क साधनों एवं बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाने का काम किया जाना चाहिए। इससे पर्यटन उद्योग में निश्चित तौर पर वृद्धि होगी। साथ ही कुछ लोकप्रिय स्थलों पर सैलानियों का दबाव कम होने से उनकी साज-संभाल आसान हो जाएगी।
  • इन सबके लिए निजी क्षेत्र से सामंजस्य बैठाया जाना अत्यंत आवश्यक है। इससे हमें नए-नए समाधान मिल सकेंगे। रोजगार के अवसर बढ़ाने के रास्ते मिलेंगे।
  • विधेयक में कौशल विकास प्रमाणीकरण एजेंसी का भी प्रावधान रखा जाए। पर्यटन उद्योग में मानव-संसाधन की अहम् भूमिका होती है। पर्यटन से जुड़े कौशल विकास संस्थान पर्यटन के क्षेत्र में भी प्रशिक्षण देने का काम करें।
  • पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मार्केटिंग और प्रमोशन जरूरी होता है। सरकार के इन्क्रेडेबिल इंडिया कैंपेन से पर्यटन क्षेत्र को बहुत लाभ हुआ है। अतः विधेयक में भी मार्केटिंग टास्क फोर्स बनाया जाए। यह पर्यटकों को आकर्षित करने के नए तरीके ढूंढे।
  • ‘ईज़-ऑफ-डुईंग-टूरिज्म’ रैंकिंग की शुरूआत की जाए। इससे राज्यों में पर्यटन का विकास करने की होड़ सी लग जाएगी।
  • विधेयक में एक हैरिटेज फंड बनाया जाए, ताकि इसकी मदद से सरकार ऐतिहासिक विरासत के स्थलों को अपने अधिकार में लेकर उनका विकास कर सके।
  • पर्यटन के कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं। यू एन डब्ल्यू टी ओ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्व के 5 प्रतिशत कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन में होटल व्यवसाय जिम्मेदार है। पर्यटकों के कारण गंदगी बढ़ती है और आवागमन से प्रदूषण भी बढ़ता है। स्थानीय निवासियों की मुश्किलें भी बढ़ती हैं। जलवायु पर पड़ने वाले इन दुष्प्रभावों का रोकने के लिए राष्ट्रीय पर्यटन विधेयक में उपाय किए जाएं।

इस प्रकार राष्ट्रीय पर्यटन विधेयक एक ऐसा आधार सिद्ध हो सकता है, जो पर्यटन के क्षेत्र में समग्र एवं धारणीय विकास सिद्धान्त को अपनाकर चल सके।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित अनुराग ठाकुर के लेख पर आधारित।

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