पर्यटन हमारा सर्वोत्तम निवेश

Afeias
04 Sep 2017
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Date:04-09-17

 

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भारत में हिमालय से लेकर गोवा और कन्याकुमारी के समुद्र तटों तक अनेक वन्य प्राणी उद्यानों के साथ-साथ सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक धरोहरों की सुंदरता भरी पड़ी है, जो पर्यटन के लिहाज से अद्वितीय है। इतना ही नहीं, हमारे देश में सस्ती परन्तु उन्नत चिकित्सा सुविधाओं के चलते इस क्षेत्र को भी पर्यटन उन्मुख बनाया जा सकता है।इसके बावजूद पर्यटन के क्षेत्र में विश्व में हमारा 40वां स्थान है। गत वर्ष हमने 80 लाख अतिथि सत्कार का संयोग पाया, जबकि चीन में  5.7 करोड़ के आसपास पर्यटक पहुंचे।

भारत में गत वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन उद्योग का योगदान 9.6 प्रतिशत रहा है। पर्यटन से हमें लगभग 4 करोड़ रोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं, जो कि देश के कुल रोजगार का 9.3 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में इतनी संभावना के होते हुए भी यह विश्व के अन्य देशों की तुलना में इतना पिछड़ा क्यों है और इसको बढ़ावा देने के लिए क्या किया जा सकता है?

सर्वप्रथम, सरकार को इस क्षेत्र में संभावना की अहमियत को समझना होगा।वर्तमान में केन्द्रीय बजट का मात्र 0.1 प्रतिशत पर्यटन के नाम किया जाता है। ऐसा शायद इसलिए, क्योंकि यह राज्यों से जुड़ा विषय है। अगर ऐसा है भी, तो इसे संविधान की समवर्ती सूची में क्यों नहीं शामिल किया जाता? 18 राज्य इसके लिए सहमत हैं। इस क्षेत्र के समग्र विकास के लिए राष्ट्रीय पर्यटन नीति तैयार करने की आवश्यकता है। इस नीति के द्वारा पर्यटन के क्षेत्र में स्थायी एवं ठोस कदम उठाए जा सकेंगे।

  • ई-वीजा की शुरूआत की जानी चाहिए। पर्यटन की मंदी वाले दौर में जैसे अप्रैल से सितम्बर तक वीज़ा शुल्क माफ किया जाना चाहिए।
  • तटीय क्षेत्रों में पर्यटन के उद्देश्य से विशेष परियोजनाएं लायी जानी चाहिए।
  • ‘‘पैलेस ऑन व्हील्स’’ जैसी शाही रेलगाड़ियां पर्यटकों के आकर्षण के अच्छे साधन हैं। परन्तु इनका किराया अधिक होने से यात्री संख्या कम रहती है।
  • होटलों में लगने वाले टैक्स की पुनर्विवेचना की जानी चाहिए। पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित होने के लिए भारत को इस क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा का ध्यान रखते हुए कदम उठाने होंगे।
  • बड़े शहरों के हवाई अड्डों की विमानन क्षमता को बढ़ाना होगा। अभी इनमें देश के नए क्षेत्रों में उड़ान भरने की सीमित क्षमता है। हांलाकि सरकार ने ‘उड़ान’ योजना का प्रारंभ करके इस क्षेत्र को विस्तार देने की कोशिश शुरू कर दी है।
  • इंडियन टूरिज्म डेवलपमेन्ट कार्पोरेशन के होटलों में विनिवेश को बढ़ाया जाना चाहिए। सरकार पहले ही इस बात को स्पष्ट कर चुकी है कि व्यावसायिक स्तर पर होटल चलाने का काम उसका नहीं है।
  • सभी विश्व स्तर की धरोहरों पर शौचालय एवं खान-पान आदि की मूलभूत सुविधाओं को आवश्यक तौर पर रखा जाना चाहिए।
  • पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विदेशों में बनाए गए सरकारी कार्यालयों को बंद किया जाना चाहिए। इनके स्थान पर भारत और विदेशों में पर्यटन से जुड़ी व्यावसायिक एजेंसियों को यह काम सौंपा जाए। ये एजेंसियां विदेशी पर्यटकों को भारतीय जालसाजों, महिला पर्यटकों की सुरक्षा, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर विशेष रूप से ध्यान देने वाली हों।

पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए एक समयबद्ध कार्ययोजना की आवश्यकता है। चाहे इसके लिए एक अलग मंत्री ही क्यों न बनाया जाए, लेकिन सरकार को आर्थिक विकास के लक्ष्य में पर्यटन को प्राथमिकता पर रखना होगा। यही देश के हित में है।

टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित पवन के. वर्मा के लेख पर आधारित।

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